धर्मनगरी के सब्जी व्यवसायी बने लुटेरे, किसी के पास नहीं है प्रशासन की रेट लिस्ट

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संदीप रिछारिया ( वरिष्ठ संपादक)

सुबह का वक्त और खाली घरों में पड़े लोगो को पेट भरने की चिंता। बावजूद इसके कि पुलिस ने सब्जी मंडी पर केवल थोक के व्यापारियों को अपनी दुकान खोलने के लिए छूट दी है.. दर्जनों छद्म थोक व्यापारी और फुटकर व्यापारियों के साथ सेकड़ो ग्राहक सब्जी मंडी का रुख कर लेते है।

सब्जी मंडी का हाल यह है कि लगभग दो दर्जन थोक व्यापार करने वाले व्यापारियों के पास उनका पास तो है, पर किसी के पास प्रशासन द्वारा जारी गई रेट लिस्ट नही है। लिहाजा जब सूची ही नही है तो भाव भी मनमाना चल रहा है। अब भले ही जिलाधिकारी ने मानवीय संवेदना दिखाकर काफी कड़े लहज़े में यह कहा हो कि जमाखोरी कर भाव बढ़ाने वाले व्यापारी बक्शे नही जायेगे, पर सीतापुर की सब्जी मंडी में तो भाव हर सब्जी का दोगुना ही चल रहा है। जब सब्जी मंडी पर यह बात की जाती है कि आपको प्रशासन ने रेट लिस्ट दी है, उसे लगाइए तो जवाब मिलता है कि हमे प्रशासन ने कोई रेट लिस्ट नही दी। सवाल खड़े किए जाते है कि माल हमारा, पैसा हमने फसाया, यह प्रशसन कौन होता है,हमारे समान के भाव तय करने वाला। व्यपारी ने तो धमकी तक दे डाली की अगर हम सप्लाई को रोक देगे तो लोग भूखे मर जायेंगे। वैसे भी आपदा की स्थिति में जब लोग भगवान का नाम लेकर जिंदा हो तो उन्हे भाव का क्या करना? इसी दौरान फ्रांस से आकर काफी लंबे समय से चित्रकूट में रह रही दिलफ़िन से जब सवाल किया गया कि कोरोना के क्या मायने है? कैसे यह वैश्विक परिद्रश्य पर कहर बरसा रहा है तो उनका जवाब था कि मानव जनित समस्या है। लेकिन जैसा व्यवहार यहाँ पर सब्जी के व्यापारी और परचून वाले कर रहे है, यह उचित नहीं है। इसे रोका जाना बहुत आवश्यक है।

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