राकेश कुमार अग्रवाल
दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है जिसे लोगों के कामेंट्स का सामना न करना पडा हो . कभी कभी कामेंट्स मुंह के सामने भी कस दिए जाते हैं अन्यथा हर किसी के पीठ फेरते ही उसके पीछे कामेंट्स शुरु हो जाते हैं . दरअसल जब भी कोई नया काम या लीक से हटकर काम करने का सोचता है उसे इस फेज से गुजरना ही पडता है .
जिस तरह से एक स्वर्णकार सोने के खरेपन को कसौटी पर परखता है उसी प्रकार कामेंट्स भी एक तरह से सामाजिक कसौटियाँ हैं . सोशल मीडिया के इस दौर में आप अच्छा कर रहे हैं या बुरा सभी पर लोगों की पैनी निगाहें रहती हैं . चर्चित सेलेब्रिटी भी ट्रोल का शिकार हो जाते हैं. समाज में ऐसा कोई नहीं है जिसे केवल प्रशंसा ही मिली हो . प्रशंसा और निंदा कब स्वरूप बदल लेती है इसका पता ही नहीं चलता . इसलिए प्रशंसा पर भी ज्यादा इतराने की जरूरत नहीं होती है .
एक बार एक शिल्पकार गर्मी में एक पेड के नीचे बैठकर आराम कर रहा था . थकावट के बाद तरोताजा महसूस कर रहे शिल्पकार ने पास में पडे एक पत्थर को उठाया और छेनी हथौडी निकालकर तराशने के लिए उसने जैसे ही हथौडी का वार किया पत्थर जोर से चिल्ला पडा , मुझे मत मारो . पत्थर की चीख सुनकर शिल्पकार ने उस पत्थर को छोड दिया . उसने दूसरा पत्थर उठाया और उसे तराशना शुरु कर दिया . शिल्पकार कभी पत्थर पर हथौडी छेनी से मंद मंद प्रहार करता , कभी रेती से रगडता . लेकिन पतिथर का वह टुकडा बिना कोई उफ किए लगातार शिल्पकार की चोटें और प्रहार सहता रहा . देखते ही देखते पत्थर का वह टुकडा शिल्पकार के प्रयासों से एक देवी की मूर्ति में बदल गया . मूर्ति वहीं पेड से टिकाकर शिल्पकार अपनी राह चला गया .
कुछ महीनों बाद वही शिल्पकार एक बार पुन: उसी राह से गुजरा . लोगों की भीड देख शिल्पकार उत्सुकतावश और करीब पहुंच गया . पास जाकर उसने देखा कि लोग उस देवी प्रतिमा की पूजा अर्चना कर रहे हैं , जिसे उसने तराशा था . जबकि पत्थर का वह टुकडा जो तराशते वक्त यह कहकर चीख पडा था कि मुझे मत मारो . एक ओर पडा था . एवं लोग उस पर नारियल फोडकर देवी प्रतिमा पर चढा रहे थे . शिल्पकार मंद मंद मुस्कराते हुए यह सोचते हुए आगे बढ गया कि जीवन में कुछ पाने के लिए कुछ कष्ट तो झेलने ही पडते हैं . जो डर जाते हैं वे जीवन भर पछताते हैं . लोग क्या कहेंगे ? इसका सबसे ज्यादा सामना महिलाओं को करना पडता है क्योंकि उनके लिए एक मोर्चा घर के अंदर तो दूसरा घर के बाहर खुला होता है . लेकिन महिलाओं में जीवटता भी कूट कूट कर भरी होती है . तभी तो उत्तराखंड की लोक गायिका माधुरी बडथ्वाल को ले लीजिए जिन्होंने आकाशवाणी से रिटायर होने के बाद बीस महिलाओं का ग्रुप बनाकर उन्हें ढोल वादन में पारंगत बना दिया . जब माधुरी ने महिलाओं को ढोल बजाने की बात कही थी तो उनकी भी जमकर हंसी उडाई गई थी . क्योंकि ढोलवादन पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था .
मुजफ्फरपुर बिहार के आनंदपुर की राजकुमारी देवी को पूरा क्षेत्र किसान चाची के नाम से जानता है . क्योंकि 57 वर्षीय राजकुमारी ने लीक से हटकर न केवल नई कृषि तकनीकियों को जाना बल्कि उनसे पूरे क्षेत्र के किसानों को लाभान्वित कराया . राजकुमारी के पति को शादी के कुछ समय बाद उनके ससुर ने अलग कर दिया था . राजकुमारी के पति के हिस्से में बंटवारे में महज ढाई एकड जमीन आई थी . राजकुमारी ने लीक से हटकर कदम उठाते हुए राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय से उन्नत कृषि का प्रशिक्षण लिया . प्रतिदिन साईकिल से 30- 40 किमी. आस पास के गांवों में जाकर राजकुमारी ने महिलाओं को खेती के नए तौर तरीकों से परिचित कराया . जब राजकुमारी साईकिल से गांव गांव जाती थी तब उनका भी जमकर उपहास उडाया जाता था . लेकिन अनथक यात्री की तरह राजकुमारी की साईकिल किसान यात्रा चलती रही . वही उपहास उडाने वाले लोग अब उनसे उन्नत खेती के गुर सीखने आते हैं .
महात्मा गाँधी ने लाख टके की बात लोगों की सामाजिक मनोदशा व मानसिकता पर कही थी . गाँधी के अनुसार ” जब भी समाज में कोई भी व्यक्ति लीक से हटकर चलने का प्रयास करता है . पहले पहल ऐसे व्यक्ति की लोग उपेक्षा करते हैं . इसके बाद भी वह अपने मार्ग पर डटा रहता है तो उस पर लोग हंसते हैं , उसका उपहास उडाते हैं . फिर भी यदि वह व्यक्ति अडा रहता है तो उससे लडाई करते हैं . उसे शारीरिक रूप से तोडने का प्रयास करते हैं . लेकिन इसके बावजूद वह व्यक्ति हिम्मत नहीं हारता है और अपने मिशन में सफलता हासिल करता है तो वही विरोधी लोग उसके प्रशंसक बन जाते हैं . उसके अनुयायी बन जाते है. उसके कार्यों की तारीफ करने लगते हैं .
फर्श से अर्श तक अर्थात सिफर से शिखर तक पहुंचने के सफलता चक्र के अहम पडाव हैं . जिनसे प्राय: हर सफल इंसान को गुजरना पडता है . याद रखिए नई धारा बहाने के पीछे खडे होने वाला कोई नहीं होता है . या इक्का दुक्का लोग होते हैं . आपको कदम कदम पर लोगों के कामेंट्स और विरोध का सामना करना पडता है लेकिन यदि आप अपने लक्ष्य में सफल हो जाते हैं तब आप शिखर पर होते हैं . आप सभी की प्रशंसा के पात्र होते हैं .