“नेकी कर दरिया में डाल” के आधार पर छात्रों की अनूठी पहल

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11 सौ रुपए से शुरू किया था गरीबों को राहत पहुंचाने का काम

अभी तक 300 से अधिक परिवारों को पहुंचा चुके हैं राहत सामग्री के द्वारा मदद

बाँदा। पूरा देश इस समय कोविड-19 नामक भयावह महामारी से जूझ रहा है। इस संकट की घड़ी में जनपद के सभी समाजसेवियों और संभ्रांत लोगों के द्वारा आगे आकर गरीबों और मजदूरों की सहायता करने का काम किया जा रहा है ।इसी तर्ज पर जनपद के कुछ पढ़ने वाले छात्रों के द्वारा एक अनोखी पहल की शुरुआत की गई है। इन सभी छात्रों के द्वारा “मदद ए इंसानियत” नाम का एक ग्रुप बनाया गया है ।इस ग्रुप के माध्यम से जनपद के सभी असहाय और गरीबों को मुफ्त में राशन देने का काम किया जा रहा है।बांदा जनपद के अलीगंज क्षेत्र में रहने वाली उमरा व उसके भाइयों के द्वारा जनपद के गरीबों और असहायों कि लगातार मदद करने का काम किया जा रहा है ।जब इस विषय में उमरा से बात की गई तो, उन्होंने बताया कि जिस तरह से पूरा देश इस वक्त महामारी से जूझ रहा है ।जिसके चलते हमारे प्रधानमंत्री के द्वारा देश में लॉक डाउन का ऐलान किया गया था ।जिसकी वजह से गरीब और मजदूर लोग भूखे और प्यासे अपने घरों पर सोने के लिए मजबूर थे ।कुछ लोग तो ऐसे भी थे जिनके घरों में चूल्हे जलने तक नहीं चल रहे थे ।इन्हीं सारी चीजों को देखकर हमारे दिमाग में यह ख्याल आया कि, कहीं ना कहीं हम लोगों को आगे आकर इन सभी की मदद करनी चाहिए ।इसीलिए मैं व मेरे भाई और उनके दोस्तों के द्वारा हम लोगों ने एक ग्रुप बनाया इस ग्रुप का नाम हम लोगों ने “मदद ए इंसानियत” का नाम दिया ।इसकी शुरुआत हम लोगों ने 11 सौ रुपए से शुरू की थी। जिसके जरिए पहली बार हम लोगों के द्वारा तीन घरों में ही राशन सामग्री भेजने का काम किया गया था। लेकिन जैसे-जैसे इसकी जानकारी लोगों को लगी तो लोगों के द्वारा हम लोगों की मदद की जाने लगी, और आज हम लोगों के द्वारा लगभग 300 से अधिक गरीब परिवारों को राहत सामग्री पहुंचाने का काम लगातार किया जा रहा है। इस वक्त हमारे ग्रुप के द्वारा लगभग डेढ़ लाख रुपए तक की सामग्री का वितरण किया जा चुका है। इस ग्रुप की सबसे अनोखी बात यह है, कि हम लोग किसी भी तरह से सोशल मीडिया या मीडिया के माध्यम से अपना प्रचार प्रसार नहीं करना चाहते हैं। हम लोग एक पढ़ने वाले छात्र हैं। हमारे मन में विचार आया कि हमें गरीबों की मदद करनी चाहिए। जैसा कि पुराने लोगों ने कहा है ,की “नेकी कर दरिया में डाल” इसी आधार पर हम लोग लगातार काम कर रहे हैं ।इस तरह के काम को करने पर हमें अत्यधिक खुशी महसूस होती है, और इस तरह के काम को देखकर हमारे परिवार और मोहल्ले के लोग भी हमारी भूरी भूरी सराहना करते हुए नहीं थक रहे हैं।

अब सोचने वाली बात यह है कि इन छात्रों के द्वारा इस तरह की पहल किया जाना एक बहुत ही सराहनीय काम है। जिनके द्वारा अपने ही जेब खर्च के पैसों का इस्तेमाल करते हुए लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाया था। कहीं ना कहीं इन छात्रों की इस प्रेरणा को देखते हुए यह साबित होता है, कि समाज में जो भी इस आपदा में लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने का काम कर रहे हैं ।उनके द्वारा कहीं ना कहीं सोशल मीडिया में अपनी वाहवाही लूटने का काम किया जा रहा है। लेकिन इस आपदा की घड़ी में हमें अपनी वाहवाही लूटना छोड़कर इन गरीबों की मदद करने में आगे आना चाहिए।

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