मझगवां, चित्रकूट। दीनदयाल शोध संस्थान ग्राम-स्वावलम्बन के सिद्वान्त पर प्रारम्भ से ही प्रयोग-प्रदर्शन करता आ रहा है और इसके सार्थक परिणाम चित्रकूट की 50 किलोमीटर की परिधि में आने वाले ग्रामों में अनुभव किये जा रहे हैं।
दीनदयाल शोध संस्थान के संस्थापक भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख का मानना था कि भारत का विकास भारत के ग्राम विकास से ही सम्भव होगा और इसके लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग करने की महती आवश्यकता है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशिक्षित पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता विकसित करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र-मझगवां, सतना द्वारा आरसेटी के अन्तर्गत 60 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इसमें 35 युवाओं ने केन्द्र पर रहकर व्यावहारिक ज्ञान अर्जन कर कौशल उन्नयन किया है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के पशुपालन विशेषज्ञ डा. राम प्रकाश शर्मा ने अपने सम्बोधन में बताया कि क्षेत्रीय पशुधन के लिए आवश्यक टीकाकरण कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है और इसमें सभी प्रशिक्षित युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
हम अपने क्षेत्र में सम्पूर्ण टीकाकरण अभियान को प्रभावी बनाकर पशुधन को बीमारी से सुरक्षित रखकर ग्रामीण एवं राष्ट्रीय उन्नति में अपना प्रभावी योगदान प्रदान कर सकते हैं।
डॉ शर्मा ने कहा कि संसाधनों के अभाव में सुदूर ग्रामीण अंचल का पशुधन, विकास के प्रकाश से वंचित है और दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा किये गये अध्ययनों के अनुसार क्षेत्रीय पशुधन का विकास कर ग्रामीण समाज को विकसित कर ग्राम स्वावलम्बी बनाने के प्रभावी परिणाम हो रहे हैं।
इस दौरान आरसेटी के निदेशक सर्वजीत पालित ने अपने सम्बोधन में बैंक से मिलने वाले सम्भावित सहयोग के लिये आश्वासन प्रदान किया, उन्होंने कहा कि आज भी ग्रामीण जीवन पद्धति कृषि एवं पशुपालन आधारित है वर्तमान परिवेश में पशुधन विकास की अपार सम्भावनायें हैं।
इस अवसर पर इन्डियन बैंक के आंचलिक प्रबंधक राजेश बदोडिया ने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि प्राप्त जानकारी के अनुसार दीनदयाल शोध संस्थान में आयोजित यह पशुमित्र प्रशिक्षण भारत में अन्यत्र जिलों में आयोजित हो रहे प्रशिक्षणों में श्रेष्ठतम् माना गया है क्यों कि यहाॅ ज्ञानवर्धन के साथ साथ कौशल उन्नयन को वरीयता प्रदान करने का व्यावहारिक आवासीय प्रशिक्षण दिया गया है। इससे प्रशिक्षणार्थियों में कार्य को सेवा के रुप में स्वीकार कर आत्म विश्वास से कार्य करने की मनस्थिति बनी है।
इस प्रशिक्षण के आयोजन में पद्माकर मालवीय, डा. अनिल जायसवाल, विनीत श्रीवास्तव, डा. अशोक पाण्डेय, राजेन्द्र सिंह, देवकुमार विश्वकर्मा, योगेन्द्र मिश्र आदि कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा है।
रिपोर्ट: पुष्पराज कश्यप