बंगाल : तीखे बोल वचनों से वार प्रतिवार

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राकेश कुमार अग्रवाल
अब जबकि पश्चिमी बंगाल समेत पांचों राज्यों में चुनाव की तिथियों का ऐलान हो गया है इसके पहले ही बंगाल मे भाजपा व सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस में वाक युद्ध तीखा होता जा रहा है . तिलमिलाई ममता बनर्जी भी भाजपा पर हमलावर होने का कोई मौका नहीं छोड रहीं . इससे राज्य में ऐसा माहौल बनता जा रहा है कि भाजपा और सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस के बीच आमने सामने की लडाई होने जा रही है . बंगाल में माकपा , भाकपा , फारवर्ड ब्लाक , कांग्रेस , जनता दल यूनाईटेड और एआईएमआईएम समेत एक दर्जन दलों के चुनाव मैदान में उतरने के आसार हैं .
यूं तो चार राज्यों व एक केन्द्र शासित प्रदेश में चुनाव होना है लेकिन 2021 में बंगाल के चुनाव का घमासान सबसे ज्यादा सुर्खियाें बटोरने वाला चुनाव होगा .
ममता बनर्जी ने हुगली जिले के शाहगंज में एक रैली में अपनी पार्टी को तोलाबाज तो भाजपा को दंगाबाज व डंडाबाज पार्टी बता डाला. ममता ने कहा कि नरेन्द्र मोदी का हाल डोनाल्ड ट्रंप से भी बुरा होगा . उन्होने कहा कि मोदी और अमित शाह देश में झूठ और नफरत फैला रहे हैं . चुनावों के ऐन पूर्व अभिषेक बनर्जी की पत्नी से सीबीआई से पूछताछ के चलते रार और बढ गई है . गौरतलब है कि इस वर्ष पांच राज्यों पश्चिमी बंगाल , तमिलनाडु, असम , केरल व केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होना है . लेकिन लगता है कि असली चुनावी महाभारत पश्चिमी बंगाल में होने जा रही है . जहां लगभग एक दर्जन दल चुनावी जंग में उतरने जा रहे हैं लेकिन सबसे बडा मुकाबला भाजपा और सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस में होने जा रहा है .
बंगाल में भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं में होड लगी है . गत वर्ष दिसम्बर पश्चिमी मिदनापुर में आयोजित रैली में निवर्तमान सांसद सुनील मंडल , पूर्व सांसद दशरथ तिर्की और 10 विधायकों जिनमें तृणमूल कांग्रेस के शुभेंदु अधिकारी , शीलभद्र दत्ता , विश्वजीत कुंडू , शुक्र मुंडा , बनाश्री मैती , सैकत पांजा , सीपीएम विधायक तापसी मंडल व दिपाली विस्वास , सीपीआई विधायक अशोक डिंडा , कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी ने भाजपा का दामन थाम था . इसके बाद बंगाली दिग्गज जगमोहन डालमिया की विधायक बेटी वैशाली डालमिया , हावडा से पूर्व मेयर रथिन चक्रवर्ती , प्रवीर घोषाल , रुद्रनील घोष व राजीब बनर्जी भाजपा में शामिल हो चुके हैं .
गृहमंत्री अमित शाह व बंगाल भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय लम्बे समय से बंगाल में फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं . और बंगाल में विधानसभा चुनावों में पार्टी 200 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाने का दावा कर रही है . महज पांच साल पहले 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 10.16 फीसदी वोटों के साथ केवल 3 सीटें हासिल की थीं . जबकि तृणमूल कांग्रेस ने 44.91 फीसदी वोटों के साथ 211 सीटें हासिल की थीं . 294 सीटों वाली विधानसभा में सरकार बनाने का जादुई आंकडा 147 सीटों का है . सवाल उठता है कि आखिर पांच साल में ऐसा क्या बदल गया जिसके कारण गृहमंत्री अमित शाह 2016 के चुनाव परिणामों को पलटाने का दावा कर सरकार बनाने की बातें करने लगे . जिस पार्टी के पास सीटों की संख्या इकाई में हो वह सैकडा भर नहीं बल्कि दो सैकडा सीटें हासिल करने व सरकार बनाने का दंभ भरे तो निश्चित तौर पर इसके पीछे कोई कारण तो होना ही चाहिए . सवाल यह भी है कि क्या 65 वर्षीया ममता बनर्जी का जादू खत्म हो रहा है या फिर भाजपा के कमल के पास कोई जादुई शक्ति आ गई है .
बंगाल में तीन दशक तक कांग्रेस ने राज किया . 34 साल तक अविराम वामदलों ने सरकार चलाई . दस वर्षों से सत्ता पर ममता काबिज हैं . गत पांच वर्षों से भाजपा व संघ ने पश्चिमी बंगाल में ऐडी चोटी का जोर लगा रखा है . पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव संजीवनी साबित हुए थे जब पार्टी ने 40.25 फीसदी वोटों के साथ 18 सीटें जीत ली थीं . इस सफलता ने पार्टी में जैसे पंख लगा दिए . बंगाल का किला फतह करने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी . इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पार्टी के 117 नेता बंगाल विजय के लिए प्राणपण से जुटे हुए हैं . पार्टी का संगठन और पूरी मशीनरी जिस तरह से मिशन बंगाल के लिए काम कर रही है उससे यह तो तय है कि भाजपा की सरकार बनाने का दावा भले बडबोला नजर आ रहा हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की तरह हैरत अंगेज प्रदर्शन कर सभी को चौंका जरूर सकती है .
जनता दल यूनाइटेड और एआईएमआईएम ने चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर कई पार्टियों के चुनावी समीकरण बिगाडने का इंतजाम अवश्य कर दिया है . जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के चुनाव प्रभारी गुलाम रसूल बलियावी ने राज्य में कम से कम 75 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है . हैदराबाद नगर निगम चुनावों में पुराना प्रदर्शन दोहराने व बंगाल विधानसभा चुनावों में चौंकाने वाला प्रदर्शन करने वाली एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी द्वारा बंगाल व यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी के चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा के बाद तृणमूल कांग्रेस की घेराबंदी की संभावना बढ गई है . 28 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाले इस राज्य में तृणमूल कांग्रेस का बडा वोटबैंक मुस्लिम हैं . जदयू और एआईएमआईएम के आने के बाद इस वोट बैंक में भी सेंध लगने के आसार बन गए हैं . जिसका सीधा खामियाजा तृणमूल को उठाना पड सकता है . कांग्रेस का जहां तक सवाल है पार्टी अभी भी अपने अंदरूनी मतभेदों को सुलझाने में जूझ रही है . ऐसे में कांग्रेस इन चुनावों में बडी चुनौती खडी कर पाएगी ऐसे आसार नजर नहीं आ रहे हैं . ममता बनर्जी भाजपा को यूं ही वाकओवर दे देंगी ऐसा उनका मिजाज नहीं है . ऐसे में यह तो तय है कि बंगाल के चुनाव पर सभी की निगाहें होंगीं . बंगाल के मतदाता के मूड में क्या है इसको जानने के लिए कुछ माह तो इंतजार करना ही पडेगा .

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