राकेश कुमार अग्रवाल
कुलपहाड ( महोबा )
ईमानदारी व कर्तव्यपरायणता के पर्याय रहे रूप कुमार राजपूत जाते जाते अपनी सात अंतिम इच्छाओं के हवाले से मौत के बाद भी चर्चा का विषय बन गए .
सरकारी सेवा में कमाऊ पद पर रहने के बाद भी रूप कुमार राजपूत ने ईमानदारी का दामन कभी नहीं छोडा था . सेवानिवृत्त होने के बाद घर पर खाली बैठने के बजाए तांगा चलाकर सवारियों को ढोने का काम किया था . निकटवर्ती ग्राम मुढारी निवासी रूप कुमार राजपूत का बुधवार को 81 वर्ष की आयु में तडके देहावसान हो गया . बाबू जी को अपनी मौत का शायद पूर्वाभास हो गया था . उन्होंने एक पखवाडा पहले अपनी डायरी में अपनी सात इच्छायें लिखित रूप में दर्ज की थीं . जिसे उन्होंने अपने 14 वर्षीय नाती आशीष को यह कहकर सौंपा था कि मेरे मरने के बाद यह डायरी अपने पिता को दे देना . दादा के निधन के बाद आशीष ने जब पिता यादवेन्द्र को डायरी थमाई तो उसके पन्ने पढकर यादवेन्द्र की आँखें सजल हो गईं .
मुढारी निवासी रूप कुमार राजपूत मध्य प्रदेश में मत्स्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर ( उपनिदेशक ) के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद मुढारी आ गए थे . अपने को व्यस्त रखने के लिए उन्होंने एक तांगा खरीदा . घोडे की नियमित सेवा करते व मुढारी से कुलपहाड एवं मुढारी से बेलाताल तांगा भी चलाते . वे गरीबों , अपाहिजों और महिलाओं से पैसे नहीं लेते थे . नब्बे के दशक में उस समय क्षेत्र में आटो , टैम्पो का आगमन नहीं हुआ था . 81 वर्षीय रूप कुमार ने गत 9 मार्च को डायरी में मृत्यु से जुडी अपनी सात इच्छायें लिखी थीं . जिसमें उनकी पहली इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनके मृत शरीर को मेडीकल कालेज को दान कर दिया जाए . यदि दान करना संभव न हो तो उनके शरीर को जलाया न जाए बल्कि दफना दिया जाए . उन्होंने अपनी अगली इच्छा में लिखा कि यदि दफनाने में भी असुविधा हो तो मृत देह को अग्नि को समर्पित कर दिया जाए . एवं उनकी अस्थियों एवं भस्म को गंगा या किसी अन्य नदी में प्रवाहित करने के बजाए उनके खेतों में बिखेर दिया जाए . उन्होंने अपने बेटे यादवेन्द्र को ताईद करते हुए डायरी में लिखा है कि मेरी मौत के बाद मृत्यु भोज न कराया जाए . इसके बजाए उन्होंने 13 वृद्धजनों को भोजन और वस्त्र देने की बात कही . रूप कुमार की मौत के बाद उनके बेटे ने तमाम गांववासियों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार कर दिया . रूप कुमार जी की सातों इच्छायें गांव में चर्चा का विषय बनी हुई हैं .
बाबू जी की सात अंतिम इच्छाएं
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