कौशाम्बी | जनपद के किसानो की माली हालत सुधारने का मास्टर प्लान अब जमीन पर दिखने लगा है | डार्कजोन के चलते पानी के संकट से जूझ रहे किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती वरदान बन कर सामने आई है | उद्यान विभाग के प्रयास पर इस वर्ष जिले के 7 हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती कराई गई है। इसकी खेती में पानी की बचत तो होती ही है, साथ ही किसानों की आय भी बढ़ रही है। यही नहीं यह फल सात जानलेवा बीमारी से निजात भी दिलाता है।
किसानों को परंपरागत खेती से बाहर निकाल कर उनकी आय बढ़ाने के लिए सिराथू तहसील के टेगाई गाव में एक प्रयोग के तौर पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कराई गई | यह खेती अब किसानो के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रही है | सिराथू तहसील के टेगाई गाव में रहने वाले किसान सुरेश पाण्डेय के मुताबिक उन्होंने 200 पौधे लगाए हैं। अब उनमें फल दिखने लगे हैं। इसी तरह शाहपुर गाव में रहने वाले युवा किसान रवीन्द्र पाण्डेय के मुताबिक उन्होंने अपने 7 बिस्वा खेत में 250 के पौधे लगाया है। उन पौधे में फूल व फल आ गए हैं। इससे अच्छी आय होने की उम्मीद है। इसमें ज्यादा देखभाल और मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है | या यूँ कहे कि वह ड्रैगन फ्रूट लगा कर सन्डे खेती कर रहे है |
प्रदेश सरकार में डिप्टी सीएम केशव मौर्या के होम डिस्टिक में पानी के दुस्वारियो से निकाल कर किसानो को मालामाल करने के लिए उद्यान विभाग सक्रिय किया | जिसका नतीजा यह रहा कि पिछले दिनों किसानो के साथ एक ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत हुयी | जिसमे उद्यान विभाग ने 5 किसानो को ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए ट्रेंड किया | उद्यान अधिकारी सुरेंद्र राम ने बताया कि खास बात यह है कि कौशांबी की मिट्टी ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए काफी अच्छी है। इसी को ध्यान में रखकर मार्च माह में जिले के सात हेक्टेयर भूमि पर 7000 पौधे लगाए गए। अधिकतर पौधों में फल भी आ गए हैं। जिन किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती की है, वह फल देखने के बाद वह काफी खुश नजर आ रहे हैं।
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