बुंदेली समाज एक नवम्बर को मनाएगा काला दिवस

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प्रधानमंत्री को 34वीं बार खून से खत लिखेंगे बुंदेले

महोबा। बुंदेलखंड को दो टुकड़ों में बांटकर 1956 में भारत के नक्शे से मिटाने वाली तारीख एक नवंबर को बुंदेली समाज काला दिवस के रूप में मनाएगा एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रिकार्ड 34वीं बार अपने खून से खत लिखकर नेहरू सरकार की उस ऐतिहासिक भूल को सुधार कर पुनः बुंदेलखंड राज्य बहाली की मांग करेंगे। महोबा के साथ-साथ झांसी, बांदा, चित्रकूट व फतेहपुर आदि जिलों में भी बुंदेले काला दिवस मनाएंगे।

बुंदेलखंड राज्य बहाली की मांग को लेकर 2018-19 में आल्हा चौक पर 635 दिन अनशन कर चुके बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने बताया कि एक नवंबर बुंदेलखंड के इतिहास का सबसे अधिक त्रासदीपूर्ण दिन है। उस दिन को हम बुंदेले कभी नहीं भूल सकते। बुंदेलखंड के आधे हिस्से को मध्यप्रदेश और आधे हिस्से को उत्तर प्रदेश में बांट दिया गया। इतना ही नहीं प्रभु श्री राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट के दो टुकड़े कर दिये गये। दो राज्यों के बीच फंसे चित्रकूट का विकास अवरुद्ध हो गया।

उन्होंने बताया कि आजादी के बाद देश की 564 रियासतों को मिला कर अखंड भारत में जो 14 राज्य बनाए गए, उनमें हमारा बुंदेलखंड राज्य भी एक था लेकिन नेहरू सरकार ने पहले 1948 में बुंदेलखंड और बघेलखंड को मिलाकर विन्ध्य प्रदेश बनाया। फिर 1956 में मध्यप्रदेश का निर्माण कर बुंदेलखंड के दो टुकड़े कर दिये और भारत के नक्शे से मिटा दिया। तभी से हमारा बुंदेलखंड दो राज्यों के बीच में पिस रहा है और विकास की मुख्य धारा से कट गया।

तारा पाटकर ने बताया कि एक नवंबर को हम बुंदेले आल्हा चौक स्थित अंबेडकर पार्क में काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन करेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने खून से खत लिखकर बुंदेलखंड के खोये हुए गौरव को वापिस दिलाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करेंगे।

  • राकेश कुमार अग्रवाल
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