पुलिस अधीक्षक साहब, ध्यान दीजिए रायबरेली में महफूज नहीं रहे पत्रकार
रायबरेली। जहां तरफ उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में पत्रकारों पर झूठा मुकदमा और हत्या के मामले प्रकाश में आ रहे हैं वहीं रायबरेली जनपद में नसीराबाद थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक पत्रकार पर जानलेवा हमले के बाद जिले के पुलिस अधिकारी गंभीर होते नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि पत्रकार संगठन के द्वारा लगातार मुख्यमंत्री से गुहार लगाई जा रही है। बताते चले कि नसीराबाद थाना क्षेत्र के ग्राम सभा डीघा गांव निवासी पत्रकार शिव शंकर वर्मा पुत्र राम सजीवन वर्मा पर दबंग ग्राम प्रधान व उनके गुर्गो द्वारा जान से मारने की नियत से जानलेवा हमला किया गया। दरअसल में पत्रकार शिव शंकर वर्मा ने उपरोक्त ग्राम प्रधान के खिलाफ सरकारी जमीन पर किए गए कब्जे को लेकर खबर प्रकाशित की थी जिस पर तहसील प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं की गई। जिसके बाद पत्रकार और गांव के अन्य लोग हाईकोर्ट की शरण में गए थे माननीय हाईकोर्ट के निर्देश पर तत्कालीन जिलाधिकारी नेहा शर्मा के द्वारा गठित की गई टीम के द्वारा जांच उपरांत मामला सही पाया गया और ग्राम प्रधान से सरकारी जमीन को अवमुक्त कराकर उगी हुई फसल गेहूं को नीलाम करा दिया गया। जिसको रंजिश मानते हुए ग्राम प्रधान ने कई बार पत्रकार को फसाने की कोशिश की लेकिन तत्कालीन इमानदार थानाध्यक्षों ने भ्रष्टाचारी प्रधान की एक नहीं सुनी। इधर कई महीना पूर्व नई तैनाती के दौरान थानाध्यक्ष रविंद्र सोनकर द्वारा कराए जा रहे खनन को लेकर पत्रकार ने खबर प्रकाशित किया। तो थाना अध्यक्ष साहब भी पत्रकार को दुश्मन बना बैठे। फिर क्या था थानाध्यक्ष ने खोजना शुरू किया कि पत्रकार के दुश्मन कौन है और साहब पहुंच गए भ्रष्टाचारी प्रधान के पास। साहब ने प्रधान को खुली छूट दे दी कि पत्रकार को मारो जो होगा हम देख लेंगे। साथ इसी का नतीजा है कि बेखौफ ग्राम प्रधान और उसके गुर्गों ने पत्रकार पर जानलेवा हमला कर दिया। थाना अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे थानाध्यक्ष ने मामूली धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर अपने अधिकारियों को गुमराह करते हुए इतिश्री कर ली। स्थानीय पुलिस की लापरवाही का फायदा उठाते हुए ग्राम प्रधान के परिजनों ने बीती रात फिर पत्रकार के घर पर हमला बोल दिया जहां हवाई फायर के साथ पथराव किया गया। मौके पर पहुंचे क्षेत्राधिकारी सलोन राज किशोर सिंह की हस्ताक्षेप पर तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पत्रकार के परिजनों का आरोप है कि थानाध्यक्ष ने हवाई फायर को तहरीर से हटवा दिया है।
संगठित अपराध चरम पर क्राइम कंट्रोल में विफल साबित हो रही है रायबरेली पुलिस
अगर बात संगठित अपराध की की जाए तो रायबरेली में या चरम पर है अवैध शराब, अवैध मादक पदार्थ की स्मगलिंग, लकड़ी कटाई, भू माफियाओं का आतंक सर चढ़कर बोल रहा है। रायबरेली पुलिस क्राइम कंट्रोल करने में पूरी तरह से असफल हो गई है और उसी के साथ असफल साबित हो रहे हैं पुलिस अधीक्षक रायबरेली। थानेदार मनमानी तरीके से थानों को चला रहे हैं आम जनता पिस रही है लेकिन उसकी फिक्र किसी को नहीं है।ऐसे में सवाल आईजी रेंज का भी उठता है आखिरकार आईजी रेंज मामले का संज्ञान क्यों नहीं ले रही हैं जिम्मेदार पुलिस विभाग पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही हैं? यदि पत्रकारों पर प्राणघातक हमले होते रहेंगे तो निश्चित है अपराधियों के हौसले बढ़ेंगे और एक ना एक दिन यह पुलिस विभाग के लिए ही सिर दर्द ही बन जाएंगे तो ऐसे में सवाल यही उठता है कि रायबरेली के पुलिस अधीक्षक स्थितियों से निपटने के लिए क्या कर रहे हैं आखिरकार वह अपनी नीतियों के चलते क्यों असफल साबित हो रहे हैं? जनपद का क्राइम ग्राफ एकाएक क्यों बढ़ता जा रहा है? पत्रकारों पर चुन-चुन कर होते हमले और दर्ज होते मुकदमे सच्चाई नहीं दबा सकते इस बात को सरकार के साथ-साथ पुलिस विभाग को भी समझना होगा सत्यता की जो लकीर खींची गई है वह चीख चीख कर यही कहेगी सत्यमेव जयते – सत्यमेव जयते।