मन्दिर में ताला बंदकर धरती से पलायन कर गए भगवान

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जीवन बचाने वाले देव अन्नदाता का करें सम्मान

वैसे इस पोस्ट को पढ़ना उनके लिए जरूरी नही है जो किसी भगवान या उसके एजेंट (धर्मगुरु) के कट्टर अनुयायी हो। पढ़ने के बाद आप मुझे जमकर गाली दे, कोई फर्क नही पड़ता, क्योकि लाकडाउन और जनता कर्फ्यू के बाद अब यह समझ मे आ गया है कि कलयुग के प्रथम चरण में ही केवल जम्मुदीप से ही नही अपितु सारी सृष्टि से भगवान पलायन कर चुके है। धर्मशास्त्रों के हिसाब से जो भी आपने उनके लिए धाम (निवास) तय कर रखे है, यानी हमारे रहने वाली पृथ्वी पर अब उनका कोई अस्तित्व ही नही बचा। तो अब सवाल खड़ा होता है कि जिस भगवान की कहानियां हमने बचपन से सुनी, उनके शौर्य और वीरता के किस्से सुने। राम ने रावण को मारा, कृष्ण ने कंस को मारा, भगवान परशुराम ने 21 बार क्षत्रियो को मारा, राजा बलि से वामन भगवान ने घरती माँग ली। जैन, मुस्लिम, बौध्द, ईसाई लगभग सभी धर्मों ने ईश्वर के होने के प्रमाणों के साथ उनके एजेंटों की खूब दुकाने चलाई, पर अब यह समझ मे आ रहा है कि पत्थर वाला ईश्वर है ही नही, वह तो कभी था ही नही,और अगर वह कहीं पर था भी तो अब कोरोना के लॉक डाउन के बाहर नही निकलेगा। यानी वह खुद को सदा के लिए क्वांराइम में भेज चुका है। अब हमें आधुनिक भगवान की खोज करनी होगी। वैसे हमारा भगवान सदा हमारे साथ था,वह हमारे साथ सृष्टि के आरम्भ से था।

कोरोना के हल्के से झटके ने हमे बता दिया कि हमारा भगवान कही दूर नही हमारे पास है। हमारे भगवान जो है जो हमे दिखाई देते है और लगातार हम पर कृपा करते है, लेकिन हमने उन्हें कभी अपना भगवान माना ही नही। हैरत की बात यह है कि ये भगवान उन पर भी कृपा करते है जो भगवान के एजेंट है।

वास्तव में हमारे भगवान प्रकृति और प्रकृति के वे संरक्षक है,जो खेतो से अन्न ,फल आदि उगाकर हमे जीवन देते है।

इसलिए मित्रो प्रकृति के साथ ही हमारे भगवान अन्नदाता किसान है। हमने वर्षो से अपने आपको हमने शिक्षित बनाने का काम किया। हमने कपड़े बदले और संस्कार के साथ अपने तौर तरीके बदल दिए। आधुनिक जमाने की प्रदूषित हवा को ग्रहण करने के साथ हमने अपने दिमाग को भी प्रदूषित किया और अपने उन रिश्तों को खाकर पचा गए जो हमारे जीवन को जीने में मदद करते थे। धरती, जल, आग, हवा और आकाश को प्रदूषण से इतना ज्यादा भर दिया कि हमारे पास कुछ भी ओरिजनल नही बचा। खेतो को रसायनो से भरा तो धरती को जल,वायु और अन्य प्रदूषणों से भर दिया। अब ऐसे में हमारे पास जब सभी जीवित देवता प्रदूषण के कारण बीमार होकर कराह रहे हो, तो हमारी जिम्मेदारी उनका उपचार करने की भी है।

आज हमारा प्रमुख देवता जो कोरोना के कारण लॉक डाउन में हमारा पेट भर रहा है,उसका सहयोग करे व उसे बीमारी से बाहर निकाले,इसी प्रकार प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले देव सूर्य,चन्द्र, पर्वत,नदी,तालाब, बावड़ी, कुआ व पौधों को संरक्षण प्रदान कर उन्हें जीवित देव मानकर आराधना करें। पशु पंछी भी जीवित देव है, इनकी आराधना इनको प्रदूषण से बचाकर हम करे तो बहुत सी समस्याओ से समाधान पा सकते है।

मित्रो अब आप अपना मेहनत से कमाया धन और श्रम उस पत्थर के देवता के मंदिर यानी भगवान के एजेंट पर बर्बाद न कर अन्नदाता के संरक्षण पर लगाये तो हमारा जीवन सुखी और सुरक्षित रह सकता है।

संदीप रिछारिया (वरिष्ठ सम्पादक)

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