सतना – चित्रकूट के विकास को कई आयामों के साथ जोड़कर देश-दुनिया को स्वावलम्बन का संदेश देने वाले भारतरत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख के जन्मदिन शरद पूर्णिमा से प्रारम्भ होने वाले तीन दिवसीय पारम्परिक एवं समकालीन कला की सांस्कृतिक संध्या ‘‘शरदोत्सव’’ प्रत्येक वर्ष एक नई छाप छोड़ता रहा है। राष्ट्रीय स्तर के इस सांस्कृतिक आयोजन को लेकर चित्रकूट क्षेत्र के आम जनमानस को बड़े बेसब्री से इसका इंतजार रहता है।
शरदोत्सव कार्यक्रम शरद पूर्णिमा पर नानाजी देशमुख के जन्म दिवस के दिन से शुरू होकर तीन दिन तक रहता है, इस वर्ष शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को है। जिसके आयोजन को लेकर उद्यमिता विद्यापीठ के सभागार में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के सभी प्रकल्प प्रभारियों की प्रमुख रूप से उपस्थिति रही।
उल्लेखनीय है कि एक लम्बे अर्से से भारतरत्न राष्ट्रऋषि नानाजी के जन्मोत्सव पर शरदोत्सव का आयोजन गोयनका घाट सियाराम कुटीर एवं सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय खेल प्रांगण, दीनदयाल परिसर चित्रकूट में होता आया है, जिसमें 20 से 30 हजार दर्शकों की उपस्थिति सांस्कृतिक संध्या में होती रही है। उस दौरान नानाजी में आस्था रखने वाले दूरदराज के क्षेत्रों से लोग आकर सियाराम कुटीर नानाजी के कक्ष में पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इस अवसर पर शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में प्रसाद रुप में तैयार खीर का भी वितरण होता रहा है। लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते आयोजक मंडल सांस्कृतिक संध्या को लेकर किसी भी निर्णायक स्थिति में नहीं है।
इस संदर्भ में दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि कोविड-19 को देखते हुए इस वर्ष वृहद कार्यक्रम की योजना नहीं है, लेकिन यदि कोरोना गाइड लाइन में 30 अक्टूबर के पूर्व कुछ परिवर्तन होता है तो वृहद कार्यक्रम करने की योजना रहेगी, अन्यथा कोविड-19 की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए सामान्य रूप से ही शरदोत्सव पर नानाजी के जन्मोत्सव का कार्यक्रम सभी प्रकल्पों एवं ग्रामीण केंद्रों पर छोटे स्वरूप में किया जाएगा।
सतना से विनोद शर्मा की रिपोर्ट।