महानगरों से आकर गांव में बुन रहे तरक्की के सपने

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काल्पनिक तस्वीर

रिपोर्ट – दुर्गेश सिंह

डलमऊ (रायबरेली) : तंगहाली में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर अपने घरों को लौटे प्रवासियों का जज्बा और जोश कहीं से कम नजर नहीं आ रहा। हर कोई गांव ही रहकर तरक्की की इबारत लिखने के सपने बुन रहा है। किसी ने मनरेगा का हाथ थामा है तो कोई अपने बूते कुछ करने के लिए राह तलाश रहा है।

डलमऊ क्षेत्र में भी करीब दो हजार लोग गैर प्रांत और जिलों से वापस लौटे हैं। लॉकडाउन के कारण भारी परेशानियों से जूझना जरूर पड़ा। मगर, ये चुनौतियां इन मेहनतकशों की हिम्मत न डिगा सकी। वापस लौटे ये लोग फिर नए सिरे से अपने गांव में ही किस्मत आजमाने निकल पड़े हैं। मनरेगा में रोजगार तलाश रहे ये मजदूर भविष्य की नई गाथा लिखने को बेताब हैं। कामगार कहते हैं कि बड़े खेत मालिकों के यहां काम करेंगे, पशुपालन करेंगे और परिवार की तकदीर संवारेंगे। एक बार गाड़ी पटरी पर आई तो पहले की तरह सब ठीक होगा। इन्हें भरोसा है कि सरकार उनकी मदद करेगी तो योजनाओं की लाठी बनकर तंगहाली से उबरने में सहारा देंगी।

मनरेगा की अंगुली पकड़ उड़ान भरने की तैयारी

सलेमपुर निवासी पवन कुमार, सुनील कुमार, अमर, सोनू समेत अन्य कई लोग रोजी-रोटी के चक्कर में दिल्ली गए थे। लॉकडाउन के चलते इन्हें भी वापस लौटना पड़ा। इन कामगारों का कहना है कि पहले बेरोजगारी की कुछ चिता था। मगर, गांव वापस आने के बाद मनरेगा में काम मिलने लगा तो घर के खर्च की फिक्र भी दूर हो गई।

बाहर से आने वाले सभी कामगारों को गांवों में ही काम दिलाने के लिए सभी बीडीओ और ग्राम प्रधानों को कहा गया है। जो मनरेगा में काम करना चाहता है, उसे गांव में ही रोजगार मिलेगा। कहीं किसी तरह कोई परेशानी होने पर शिकायत दर्ज कराए। मदद कराई जाएगी।

-सविता यादव, एसडीएम, डलमऊ

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