माल परिवहन के लिए रेलवे ने घोषित की कई प्रोत्साहन योजनाएं

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राकेश कुमार अग्रवाल

कुलपहाड (महोबा)। महामारी कोविड 19 के मद्देनजर भारतीय रेलवे ने माल ग्राहकों को प्रोत्साहन देने की घोषणा की है। इन प्रोत्साहनों से देश के निर्यात को बढ़ावा मिलने से अर्थव्यवस्था को भी मदद मिलेगी। नई घोषणा के तहत अब माल ग्राहकों को भौतिक रूप से शेड में जाने के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से सामानों के लिए अपनी मांगों को पंजीकृत करने की सुविधा मिल सकेगी इससे यह अधिक सुविधाजनक, तेज और पारदर्शी होगी।

रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार
कोविड महामारी के मद्देनजर, रेलवे बोर्ड ने निर्णय लिया है कि माल / पार्सल यातायात में फोर्स मेज्यूर के तहत डेमरेज, व्हार्फेज, स्टैकिंग, स्टैबलिंग चार्ज नहीं लगेंगे। इसी तरह कंटेनर ट्रैफिक के लिए भी डिटेंशन चार्ज और ग्राउंड यूसेज चार्ज भी ३ मई तक नहीं लगेगें ।

फ्रेट फारवर्डर्स, आयरन एंड स्टील, आयरन ओर और नमक के ट्रैफिक के मामले में इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन ऑफ डिमांड (e-RD) और इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन रेलवे रिसिप्ट (eT-RR) सुविधा का विस्तार किया गया है।

रेलवे रसीद (ईटी-आरआर) का इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन, पेपरलेस ट्रांजेक्शन सिस्टम से एक कदम आगे है, जिसमें रेलवे रसीद भी उत्पन्न की जाती है और एफओआईएस के माध्यम से ग्राहक को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित की जाती है, और यहां तक कि माल की डिलीवरी भी ईटी-आरआर के ई-सरेंडर के माध्यम से दी जाती है। इससे ग्राहक को मांग पंजीकरण, माल की डिलीवरी लेने के लिए और आरआर / चालान प्राप्त करने के लिए माल शेड जाने आवश्यकता समाप्त हो जाती है। अब रेलवे रसीद (आरआर) के बिना माल प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की जा रही है। ग्राहकों को ईटी-आरआर का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कंटेनर यातायात को प्रोत्साहित करने के लिए खाली कंटेनरों और खाली फ्लैट की आवाजाही के लिए हॉलेज चार्ज से छूट दी जा रही है।

लॉकडाउन के मद्देनजर, रेलवे बोर्ड ने निर्णय लिया है कि 30 अप्रैल तक खाली कंटेनरों और खाली फ्लैट वैगनों की आवाजाही के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इससे न केवल भारतीय रेल बल्कि निर्यात में वृद्धि से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा भी देने की उम्मीद है। कंटेनर ट्रैफिक की सहायता के लिए चार्ज में हब और स्पोक प्रणाली में बीच में एक ब्रेक / ट्रांजिट प्वाइंट के साथ ट्रैफिक प्रारंभिक स्थान से गंतव्य तक पहुंचाया जाता है। इसे हब एंड स्पोक सिस्टम कहा जाता है। मौजूदा दिशा-निर्देशों के तहत, पारगमन बिंदु के बीच का ब्रेक पांच दिनों तक सीमित है। कोरोना वायरस के प्रभाव के फलस्वरूप आईसीडी पर कार्गो की निकासी में देरी को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड ने 30 मई तक टेलीस्कोपिक लाभ प्राप्त करने के लिए सीमा को पांच दिनों से बढ़ा कर पंद्रह दिनों तक करने का निर्णय लिया है।

माल परिवहन के लिए भी रेलवे छूट देने जा रही है। मिनी रैक के लिए दूरी प्रतिबंध जो 600 किमी था, जिसे इंट्रा ज़ोनल ट्रैफ़िक के लिए 1000 किलोमीटर तक बढ़ाया गया था। अब इंटर जोनल और इंट्रा जोनल ट्रैफिक दोनों के लिए एक समान 1500 किलोमीटर की अनुमति दे दी गई है। दो प्वाइंटों से प्रारंभ होने वाले रैकों के लिए एक दूरी का प्रतिबंध है जिसके तहत लीन सीज़न में दो लोडिंग पॉइंट पर 200 किमी से अधिक और पीक सीज़न 400 किमी से अधिक दूरी नही होनी चाहिए। यह व्यवस्था रैक के इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए है। पर अभी बिना किसी सीज़न के बंधन के, 500 किमी तक के लोडिंग पॉइंट के दूरी प्रतिबंध की छूट दी गई है।
इसके अलावा, ट्रेन लोड के लाभ के लिए निर्धारित संख्या में वैगनों को लोड किया जाना आवश्यक है अन्यथा यदि लोडेड वैगनों की संख्या इस संख्या से कम है तो बुकिंग वैगन-लोड दरों में की जाती हैं, जो थोड़ी अधिक होती हैं।

इस प्रावधान में भी बीसीएनएचएल वैगनों के संबंध में छूट दी गई है, ये एक प्रकार के कवर्ड वैगन हैं जिनको मुख्य रूप से बैग्ड कन्साइनमेंट जैसे खाद्यान्न, कृषि उपज अर्थात प्याज आदि के लिए उपयोग किया जाता हैं। आवश्यक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के दृष्टिगत उनके लदान को प्रोत्साहित करने के लिए इन में अब ट्रेन लोड के लाभ के लिए पहले की न्यूनतम संख्या 57 के स्थान पर अब 42 वैगनों को लोड किए जाने की छूट दी गई है।

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