उप संभागीय कृषि प्रसार कार्यालय की मिट्टी परीक्षण लैब में उपकारणों की कमी
देखरेख के अभाव में पूरी तरह से उजाड़ हो गई परीक्षण लैंब
लालगंज (रायबरेली) , क्षेत्र के बन्नामऊ गांव स्थित उप संभागीय कृषि प्रसार कार्यालय में बनी मिट्टी परीक्षण लैब देखरेख के अभाव में पूरी तरह से उजाड़ हो गई है। जिससे किसानों को खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता परीक्षण के लिए मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। तहसील क्षेत्र के करीब 90 हजार छोटे, बड़े, मझौले किसान हैं। शासन की ओर से किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ने, उन्नत नस्ल की सब्जियां और फलों की पौध तैयार करने सहित फसलों का अच्छा उत्पादन लेने के लिए मिट्टी परीक्षण केंद्र खोला गया। लेकिन देख रेख और उपकरणों के अभाव के कारण मिट्टी की जांच लैब में नहीं हो पा रही है।
कर्मचारियों की ओर से मिट्टी संकलित कर उसे जांच के लिए जिले की लैब में भेजना पड़ता है। क्षेत्र के अधिकांश किसान अपने खेतों में गेहूं, धान, सरसों, ज्वार आदि की पारंपरिक खेती करते हैं। बेहतर उत्पादन पाने के लिए किसान खेतों में रासायनिक खादों का प्रयोग करते हैं। रसायनों के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे कम हो रही है। ऐसे में किसानों को अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा कर कृषि विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार मिट्टी के ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन क्षेत्र के उपसंभागीय कार्यालय में बनी लैब में नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश के अलावा अन्य पोषक तत्वों की जांच नहीं हो पा रही है।
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विषय वस्तु विशेषज्ञ जितेंद्र के जालवा ने बताया कि मिट्टी में कुल 17 पोषक तत्वों की जांच की जाती है। जिनमें उपसंभागीय कार्यालय की लैब में जैविक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश जांच हो जाती है, अन्य पोषक तत्वों की जांच के लिए मिट्टी के नमूनों को जिले की लैब में भेजना पड़ता है।
रिपोर्ट- संदीप कुमार फिजा
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