मुसहर मामले में सामाजिक कार्यकर्ता ने चीफ़ जस्टिस, एनएचआरसी, एससी-एसटी आयोग में भेजी शिकायत

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दोषी लेखपाल निलंबित, ज़िम्मेदारो के खिलाफ एससी एसटी का मुक़दमा दर्ज करने की माँग

वाराणसी रोहनियां -क्षेत्र के करसड़ा गांव के मुसहरो को राजातालाब तहसील प्रशासन द्वारा उजाड़ने के मामले में मंगलवार को दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता की अगुवाई में फैक्ट फ़ाइंडिंग टीम ने इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश, मानवाधिकार और एससी, एसटी आयोग में शिकायत दर्ज कराई और इसकी जांच कर कार्रवाइ की मांग की।

ये हैं मुसहर मामले में सामाजिक कार्यकर्ता ने की शिकायतग-मेल द्वारा दी गई शिकायत में आरोप है कि करसड़ा में अपनी जमीन पर रहने वाले वनवासी समुदाय के 13 परिवार की जमीन पर कब्ज़ा करने की नियत से बीते शुक्रवार को प्रशासन द्वारा असंवैधानिक तरीके से पीड़ित 13 परिवारों को इनकी ही जमीन से फ़ोर्स लगाकर उजाड़ दिए जाने की (दलित उत्पीड़न) की शिकायत पर तत्काल कमीशन भेजकर मामले की जाँच कराते हुए कार्रवाई किये जाने के संबंध में माँग की गई है।राजकुमार ने बताया कि उजाड़े गए सभी 13 परिवार जिस जमीन पर रह रहे हैं वो इन्ही के समुदाय के चमेली देवी पत्नी स्व मठल की है और इनका नाम भी खतौनी में दर्ज है। बावजूद पिछले 1 माह से इन 13 परिवार को तहसील प्रशासन द्वारा बस्ती में आकर जमीन छोड़ कर चले जाने अन्यथा की स्थिति में गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे थे। बता दें इनकी 4 बीघा जमीन को हड़पने की नियत से विगत 29 अक्टूबर को राजातालाब तहसील की उपजिलाधिकारी प्रशिक्षु (तहसीलदार)-मीनाक्षी पांडेय, कानूनगो-रामेश्वर तिवारी व स्थानीय लेखपाल बिना किसी लिखित आदेश के मय फ़ोर्स JCB लेकर पहुंचे और यह कहते हुए कि यह जमीन हथकरघा विभाग की है इनके घरों को तोड़ना शुरु कर दिया, जब बस्ती के लोगों ने इस असंवैधानिक कार्य का वीडियो बनाने का प्रयास किया तो इनके मोबाइल को छीन लिया गया।

प्रशासन के इस अनैतिक कार्य में निम्नलिखित आपत्ति और सवाल है जिसकी जाँच कराकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना आवश्यक है।

ये हैं मांग

सवाल-1. बिना किसी पूर्व नोटिस से इन 13 परिवार को इनके ही जमीन से किसके आदेश पर हटाया गया ? 2. यदि यह जमीन हथकरघा विभाग की थी तो चमेली देवी पत्नी स्व मठल का नाम खतौनी में कैसे दर्ज हुआ ? साथ ही यह भी कि खतौनी में गलत नाम दर्ज करने वाले सभी उच्चाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं किया गया ? 3. इन्हें हटाने से पूर्व इनके रहने/खाने आदि की उचित व्यवस्था प्रशासन ने क्यों नहीं किया ? इनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार क्यों किया गया ? 4. इन सभी परिवार का गाँव के परिवार/ कुटुंब रजिस्टर में पिछले 25 वर्षों से रहने के बावजूद नाम क्यों नहीं दर्ज है ? शिकायत पत्र पर तत्काल उच्च न्यायालय और आयोग से कमीशन भेजकर कर वनवासी समुदाय की निजी जमीन को वाराणसी प्रशासन द्वारा हड़पे जाने की अपराधिक कार्रवाई के विरूद्ध दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल जाँच कराकर SC/ST एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाते हुए इन सभी 13 परिवार को तत्काल इनकी जमीन पर बसाये जाने का आदेश पारित करते हुए इन्हें सभी मूलभूत सुविधाएँ जैसे आवास, राशन कार्ड, जॉब कार्ड आदि अविलंब बनवाने की भी माँग रखी है। उधर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने उक्त मामले में लेखपाल नीलम प्रकाश के निलंबित हो जाने के बाद पीएमओ को ट्वीट करके तहसीलदार, एसडीएम, डीएम को दोषी ठहराते हुए इनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की माँग की है। आनन फ़ानन में पीड़ितों को पास के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में एक-एक बिस्वा जमीन का आवंटन देकर आवास बनाया जा रहा है जिसे पीड़ितों ने लेने से इंकार कर दिया गया हैं और मंगलवार दोपहर बाद एसडीएम उदयभान सिंह बस्ती में पहुँच कर पीड़ितों को खाद्यान्न वितरण किया।

राजकुमार गुप्ता रिपोर्ट

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