नई दिल्ली। कोरोना वायरस इन्फेक्शन (Coronavirus Infection) और मौसम के कनेक्शन को लेकर रिसर्च में नई बात पता चली है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) बॉम्बे की स्टडी के मुताबिक, ह्यूमिडिटी बढ़ने पर वातावरण में कोरोना अधिक समय तक सर्वाइव कर सकता है। दो प्रफेसर्स की स्टडी बताती है कि उन शहरों में जहां अधिक तापमान और कम ह्यूमिडिटी की वजह से खांसी या छींक की ड्रॉपलेट्स सूखने में कम समय लगा, वहां पर कोविड-19 इन्फेक्शन कम फैला।
मॉनसून सीजन में कई गुना बढ़ेगा इन्फेक्शन!
IIT बॉम्बे के रजनीश भारद्वाज और अमित अग्रवाल ने एक ड्रॉपलेट जो कि शायद एक कोरोना वायरस मरीज की छींक से निकली थी, उसे सुखाया और दुनिया के छह शहरों में डेली इन्फेक्शंस से मैप कराया। भारद्वाज ने कहा, “सूखे वातावरण के मुकाबले ह्यूमिड कंडीशंस में वायरस के सर्वाइव करने का चांस 5 गुना बढ़ जाता है।” वहीं अग्रवाल को डर है कि मुंबई में जल्द मॉनसून दस्तक देने वाला है। इससे यहां का ह्यूमिडिटी लेवल 80 पर्सेंट से ज्यादा हो जाता है। ऐसे में कोरोना इन्फेक्शंस के मामलों में इजाफा हो सकता है।
डॉक्टर्स की राय स्टडी से उलट
अग्रवाल के मुताबिक, ‘अगर ह्यूमिडिटी इन्फेक्शन के पीछे एक अहम फैक्टर है तो मुंबई और केरल के शहरों में हालात और खराब हो सकते हैं।’ लेकिन कई डॉक्टर्स IIT प्रफेसर्स की स्टडी से सहमत नहीं दिखे। एक सिविक डॉक्टर ने कहा कि मॉनसून और हाई ह्यूमिडिटी लेवल असल में मुंबई को फायदा पहुंचा सकता है।
सिंगापुर में सबसे जल्दी सूख रहीं ड्रॉपलेट्स
यह रिसर्च अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्ट के पीर-रिव्यूड जर्नल में प्रकाशित हुई है। रिसर्च के मुताबिक, ड्रॉपलेट को सूखने में सबसे कम समय सिंगापुर में लगा और सबसे ज्यादा वक्त न्यूयॉर्क में। न्यूयॉर्क दुनिया में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में से एक है। सिडनी, मायामी और लॉस एंजेल्स में भी ड्रॉपलेट्स जल्दी सूख रही थीं और वहां इन्फेक्शन भी कम फैला। यह रिसर्च इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए की गई थी कि एक इन्फेक्टेड इंसान के खांसने या छींकने के बाद वायरस कितनी देर हवा में रहता है। हमें यह पता है कि ड्रॉपलेट्स सूखते ही उनमें मौजूद वायरस मर जाता है।
कोरोना पर भविष्यवाणी करना मुश्किल
महाराष्ट्र की कोविड टास्क फोर्स में शामिल एक डॉक्टर ने कहा कि मॉनसून से हालात और खराब हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “हम कोरोना वायरस को लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते क्योंकि ये अभी नया है। दुनियाभर में इसके 35 ज्ञात म्यूटेशंस हैं। महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के कई हिस्सों में और घातक A2a स्ट्रेन मिला है। जुलाई में हमें और ICUs की जरूरत पड़ेगी। जितना हो सके, घरपर ही रहें।”