राकेश कुमार अग्रवाल
बांदा। एक तरफ लाॅकडाउन दूसरी तरफ घुमन्तू परिवारों के समक्ष रोजी रोटी का संकट ऐसे में जब सरकारी राशन मिलना भी दूभर हो गया तो मरते क्या न करते इन घुमन्तू परिवारों के लोग सत्याग्रह के साथ साथ अनशन पर बैठ गए हैं।
बांदा जिले के नरैनी थाना के ग्राम खेरवा में ४२ घुमन्तू कुंचबंदिया परिवार रहते हैं। ये गांव गांव जाकर चकिया, जांता बेचने, टांकने के अलावा चिमटा, तवा आदि सामान बेचकर गुजर बसर कर रहे थे। दो महीने से चल रहे लाॅकडाउन के चलते आमदनी जीरो और खरचा ज्यों के त्यों लगे थे। किसी तरह गृहस्थी की गाडी एक सवा महीना खिंच गई लेकिन ४२ में से १७ परिवारों के पास राशनकार्ड नहीं है। ऐसे में इन परिवारों के समक्ष भूखों मरने की नौबत आ गई. बाबूलाल, रामसेवक, फूलचंद, छोटेलाल, सियाराम, कल्लू, बीरू, नरेश, रेनू, ममता, शिवदेवी, केलारानी, लीलावती, भूरी के अनुसार उन्होंने आनलाइन आवेदन भी किया लेकिन अभी तक उन्हें राशन नहीं मिल सका। ऐसे में मजबूर होकर उन्हें भूखे रहकर अनशन पर बैठने को विवश होना पडा। बैनर लगाकर ये रह रहकर नारे भी लगाते हैं कि मोदी जी हम मरते हैं, राशन दो य, राशन दो!!
बिना किसी पूर्वनियोजित रणनीति के एकाएक लागू किए लाॅकडाउन ने तमाम परिवारों को भूख से बिलबिलाने को मजबूर कर दिया है। देखना है कि प्रशासन कब इन पर नजरें इनायत करता है।