योगी सरकार में लगातार बदलता गया पुलिस का चेहरा

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मायावती कार्यकाल में डकैतों को ठोकने को मशहूर थी तो सपा शासन में अराजकता की मिशाल बनी थी

संदीप रिछारिया (वरिष्ठ सम्पादक)

लखनऊ। कोरोना के भय से देशवासियों को घरों के अंदर बन्द किए जाने के चलते पुलिसिया सिस्टम का रिमाड्यूल हो गया। वैसे इसी संवेदनशीलता और मित्र पुलिस की परिकल्पना वर्षो से बसपा व सपा शासन काल मे करते रहे है। आज देश के लगभग सभी राज्यों की पुलिस पहले से ज्यादा समझदार, संवेदनशील और आम आदमी की मददगार के रूप में दिखाई दे रही है। अभी ज्यादा पुरानी बात नही है।

उत्तर प्रदेश की बात करे तो योगी जी के मुख्यमंत्री बनते ही अपने अंदाज दिखाए थे, समाज मे नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए मजनू ठोको अभियान चलाया। उस समय हाल यह हुआ कि घरों से भाई बहन भी साथ मे बाहर निकलने से डरने लगे। पार्क और सुनसान जगहें युवाओं से खाली हो गई।अगले छह महीने बाद योगी ने घोषणा किया कि अपराधी प्रदेश छोड़ दे अन्यथा उनको उनकी जगह में पहुँचा दिया जाएगा और हुआ भी कुछ ऐसा।पुलिस त्वरित गति से अपराधियो पर टूट पड़ी और देखते ही देखते भारी मात्रा में अपराधियों के इंकाइन्टर किए गए। इस दौरान अपराधियो ने खुद प्रदेश छोड़ दिया इस फिर दहशत के मारे खुद ही जेल चले गए।

वैसे अगर पूर्व की सरकारों की बात करे तो प्रशासनिक व्यवस्था और पुलिस पर लगाम लगाने के जो तरीके बसपा प्रमुख के पास रहे वो किसी के पास नही दिखे। मायावती के शासन में पुलिस ने खूब डकैत ठोके तो यही पुलिस सपा के शासन काल मे सर्वाधिक अराजक भी रही। उस समय पुलिस सत्ता से जुड़े एक विशेष जाति के लोगों को प्राइवेट व सरकारी जमीनों पर खुले आम कब्जा कराने के काम मे लगी रही।

पिछले दो महीने के लाकडाउन में पुलिस के दो चेहरे दिखाई दिए।पहला चेहरा था वह जो कि शायद इतिहास में पुलिस के द्वारा किए गए कार्यो में किसी ने सोचा भी न होगा। यह चेहरा था लोगो को दंडित कर उनकी जान बचाने का।सार्वजनिक तौर पर दंडित करने के पीछे की मंशा लोगों को कोरोना से बचाने की रही। इसी बीच पुलिस के ही बीच से तमाम ऐसे चेहरे भी सामने आए जिन्होंने घरों में बंद लोगों को भोजन, दवाएं, दूध आदि देकर उनको न केवल जीवन दिया, बल्कि नाच गाकर मनोरंजन भी किया। किसी जवान ने सड़क किनारे पेंटिग कर डाली तो कोई बच्चे के बर्थ डे पर लोगों के घर केक लेकर पहुँच गया।

अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने लाॅक डाउन के दौरान 24 मार्च से 31 मई तक डायल 112 के द्वारा किए गए काम की जानकारी दी। बताया कि पुलिस कर्मियों द्वारा प्रदेश के 2 लाख 80 हजार से अधिक जरूरतमंदों को मदद पहुंचायी गई। जिसमें 2 लाख से अधिक जरूरतमंद व्यक्तियों तक खाद्य सामग्री पहुचाई गई।

इस अवधि में यूपी 112 द्वारा बीमार, बुजुर्ग व जरूरतमंद 45 हजार व्यक्तियों तक जीवन रक्षक दवाईयां पहुंचाने व लगभग 26 हजार व्यक्तियों को उनके गंतव्य तक पहुंचानें में सहायता की गई । गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, कैंसर के मरीज आदि शामिल है। साथ ही पीआरवी के माध्यम से 8 हजार से अधिक व्यक्तियों तक जरूरी वस्तुएं जैसे घरेलू गैस सिलेण्डर, दूध, पेट्रोल-डीजल आदि पहुंचाने में भी मदद की गई ।

श्री अवस्थी ने बताया कि प्रदेश पुलिस ने कोरोना वाॅरीयर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर और अधिक बेहतर कार्य करते हुये मानवीय संवेदना का एक अद्वितीय उदाहरण पेश किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिये पुलिस द्वारा अत्यंत सजगता एवं संवेदनशीलता के साथ कार्य किया गया है।

अपर पुलिस महानिदेशक, डायल 112 असीम अरूण ने बताया गया है कि लाॅक डाउन के दौरान पीआरवी 112 के माध्यम से वहां की मीडिया डेस्क पर बिहार प्रान्त से आदर्श कुमार सिंह से ट्वीट मिला कि उनकी पत्नी नवजात बच्ची के साथ लखनऊ में रहती है। बच्ची का मिल्क (बेबी फीड) खत्म हो गया है, बच्ची भूख से बिलख रही है, सूचना मिलते ही पीआरवी 112 ने आदर्श जी से संपर्क कर तत्काल बेबी फीड उनके लखनऊ स्थित आवास पर पहुॅचाया।

बहराइच जिले के मतेहीकला गाॅव में रहने वाले एक बुजुर्ग के हृदय रोग का इलाज दिल्ली से चल रहा है, जिनके पोते द्वारा मदद हेतु ट्वीट किया गया। सूचना को गंभीरता से लेते हुए पीआरवी 112 ने डीसीपी साऊथ दिल्ली परविंदर सिंह से संपर्क किया जिनके द्वारा दवाई को गौतमबुद्धनगर पुलिस को दिया गया। गौतमबुद्धनगर पुलिस द्वारा लखनऊ आ रही एक एंबुलेंस की मदद से बुजुर्ग की दवाई को लखनऊ तक पहुॅचाया गया तथा लखनऊ से बहराइच जा रहे एक इंजीनियर से निवेदन कर बुजुर्ग की दवाई बहराइच तक पहॅुचाने में सफलता प्राप्त की।

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