राममंदिर निर्माण के लिए दिए गए चंदे से खरीदी गई जमीन में अनियमितता को लेकर कांग्रेसियों ने सौंपा ज्ञापन

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रिपोर्ट – सुधीर त्रिवेदी, वरिष्ठ संवाददाता

बाँदा—भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में आज कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा । जिसमें श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट क्षेत्र द्वारा भारतीय नागरिकों द्वारा अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण हेतु दिए गए चंदे से भूमि की खरीद के संबंध में की गई आर्थिक अनियमितताओं के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की माँग की है।

गौरतलब है कि आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित के नेतृत्व में आज कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा जिसमे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट क्षेत्र द्वारा भारतीय नागरिकों द्वारा अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण हेतु दिए गए चंदे से भूमि की खरीद के संबंध में की गई आर्थिक अनियमितताओं के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने हेतु माँग की ।
राजेश दीक्षित ने कहा कि आपके संज्ञान में होगा कि विगत दिनों भारतीय नागरिकों द्वारा अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण हेतु दिए गए चंदे से 12080 वर्ग मीटर भूमि गाटा संख्या 243,244,246 खरीद में की गई कथित आर्थिक अनियमितताओं के संबंध में सभी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में समाचार प्रकाशित हुए हैं। भारतीय नागरिकों की आस्था के प्रतीक भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए विभिन्न सामाजिक वर्गों द्वारा दिए गए चंदे का व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रयोग किए जाने के आरोप लग रहे हैं। क्योंकि प्रस्तुत विषय भारतीय जनमानस की आस्था से जुड़ा हुआ है इसलिए आपसे निवेदन है कि आप निम्न बिंदु पर अपने स्तर से जांच की संस्तुति देते हुए तत्काल निर्देश जारी करने की कृपा करें ।
उन्होंने कहा कि भू राजस्व अधिकारियों ने औचित्य का प्रश्न उठाए बिना किस व्यक्ति अथवा संस्था के दबाव में दो करोड़ में खरीदी गई भूमि को लगभग 8 गुना अधिक मूल्य पर बैनामा कैसे होने दिया। उक्त भूमि के संबंध में खरीद और बिक्री के बैनामे पर समान गवाहों के हस्ताक्षर हैं। बैनामे में दर्ज गवाहों और विक्रय करने वालों के बीच क्या व्यापारीक या व्यक्तिगत रिश्तेदारी है, जिसके कारण भूमि की खरीद में परस्पर हितों के स्पष्ट टकराव की शंका है।
क्या इस भूमि के मालिकाना हक को लेकर कथित रूप से वक्त बोर्ड में आपत्ति दर्ज कराई गई थी? यदि हां तो विवादित भूमि होने के बाद भी ट्रस्ट द्वारा इस भूमि की खरीद को कैसे मंजूरी प्रदान कर दी गई।
जो व्यक्ति इस विवादास्पद भूमि की खरीद और बिक्री में सम्मिलित है वह अयोध्या में अन्य कितने मामलों में भूमि की खरीद और बिक्री में आपस में सम्मिलित रहे हैं।

जिन्होंने इस भूमि को 18. 5 करोड़ में ट्रस्ट को बेचा है, उन्होंने भूमि की बिक्री से संबंधित प्राप्त राशि को किन खातों में स्थानांतरित किया है या आगे किस प्रकार उपयोग किया है। उल्लेखित भूमि की खरीद के लिए क्या ट्रस्ट ने कार्यसमिति की कोई बैठक बुलाकर प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें यह स्पष्ट रूप से बताया गया हो कि मात्र दो करोड़ की भूमि का मूल 18.5 करोड़ चुकाया जाना होगा, जबकि सरकारी सर्किल 5. 80 करोड़ ही था ?क्या किसी सदस्य ने भूमि की खरीद के अधिकमूल्य पर आपत्ति दर्ज कराई थी।

ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई भूमि के बैनामे में विगत वर्षों में किए गए बेचने का करार किए गए समझौते (अग्रीमेंट टू सेल)में कतिपय धन के लेनदेन का कोई जिक्र नहीं है ऐसा क्यों? इसके उल्लेख के बिना किसी भी भूमि के क्रय विक्रय के पत्र शून्य माने जाते हैं। जिस भूमि की खरीद की गई है वह श्री राम मंदिर के लिए प्रस्तावित स्थल से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर है। मुख्य स्थल से इतनी दूर औचित्यहीन भूमि की खरीद के लिए ट्रस्ट के किसी भी जिम्मेदार सदस्य ने अपना विरोध क्यों नहीं दर्ज किया?

आप सहमत होंगे कि आस्था के प्रतीक श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण को किसी भी प्रकार की आर्थिक और कानूनी अनियमितताओं की शंकाओं से मुक्त रखने के लिए निष्पक्ष और उच्च अधिकार प्राप्त संस्था से जांच कराया जाना आवश्यक हो गया है ।आपसे निवेदन है कि प्रस्तुत ज्ञापन पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने के संबंध में आप तत्काल निर्देश जारी करेंगे ।

ज्ञापन देने में सिमाखान महिला अध्यक्ष, सैय्यद अल्तमश हुसैन प्रदेश सचिव अल्पसंख्यक विभाग, अलंकार तिवारी, साकेत मिश्रा, कुत्तेबा जमा,अशरफ उल्ला रम्पा, महेंद्र वर्मा,दानेंद्र सिंह दानी,रामशंकर सिंह,लालाशिवबली सिंह, सुखदेव गांधी इरफान खान इत्यादि लोग शामिल रहे।

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