अयोध्या जिले के सूचना विभाग द्वारा पत्रकारों के साथ लगातार मनमानी की जा रही है। इस मनमानी के चलते सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार नहीं हो पा रहा है। विभागीय अधिकारियों द्वारा लिये जा रहे मनमाने फैसला रिपोर्ट सरकार को कुछ भेजी जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ ही सत्य होता है। मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि निष्पक्षता से जांच बिठाकर उचित कार्यवाही की जाये।राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद रजि. के जिलाध्यक्ष अंतरिक्ष तिवारी ने जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (1) के तहत अलग-अलग विभिन्न बिन्दुओं पर जवाब मांगा है। निदेशालय उत्तर प्रदेश से जानकारी मांगी है कि सूचना कार्यालय को वर्ष 2018 से 2023 तक सभी मदों पर कुल कितना बजट भेजा गया है। कार्यालय के लिये वर्ष 2019 से 2023 तक कुल कितना फर्नीचर, कम्प्यूटर आदि सामानों की आपूर्ति की गयी है। निदेशालय द्वारा अधिकारी कर्मचारियों के स्थानान्तरण में विभाग के क्या नियम है? कितने वर्ष तक अधिकारी कर्मचारियों को एक जिले में रखा जा सकता है। नियमावली की प्रमाणित कापी मांगी गयी है। इसी तरह से मान्यता प्राप्त तथा गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों के जलपान, लेखन सामग्री के लिये कुल कितना बजट आवंटित किया गया है। इसी तरह निदेशालय द्वारा इस कार्यालय को प्रसार के लिये इस अवधि में कितना धन आवंटित हुआ है। जिलाध्यक्ष अंतरिक्ष तिवारी ने 2020 तक मान्यता प्राप्त प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया की बन प्रमाणित सूचीं, इसी अवधि में गैर मान्यता प्राप्त प्रिंट तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया के पंजीकृत पत्रकारों की सूची मांगी है। इसी अवधि में उत्तर प्रदेश सरकार केअयोध्या के दीपोत्सव कार्यक्रम में अब तक कितना प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रिक मीडिया को कुल कितने पास आवंटित किये गये। इसका विवरण मांगा गया है। वर्ष 2020 से लेकर 2023 तक मंत्रियों या अधिकारियों के आगमन पर करायी गयी प्रेस वार्ता में कुल कितना सरकारी बजट खर्च किया गया। इसके अतिरिक्त कितनी सामग्री बाजार से मंगायी गयी।इसी तरह यह भी जानकारी मांगी गयी है कि सूचना कार्यालय में 2010 से लेकर 2023 तक कुल कितने वाहन हैं। अगर कार्यालय का कोई वाहन खराब है तो कहां है? कार्यालय में उपलब्ध वाहन क्या कभी बाहरी जिलों में गया है। यदि हाँ तो सभी का विवरण लाग बुक सहित उपलब्ध करायें। कार्यालय में उपलब्ध वाहन के चालक का पूरा नाम, पिता का नाम व स्थाई पता दिया जाय और यह भी बताया जाये कि चालक क्या सरकारी है या प्राइवेट, अगर प्राइवेट है तो इसे किस अधिकारी के आदेश पर नियुक्त किया गया है। यह भी जानकारी मांगी है कि कार्यालय में कुल कितने कर्मचारी, अधिकारी कार्यरत् हैं? क्या कोई संविदा कर्मी है। अगर संविदा कर्मी है तो किसके आदेश पर नियुक्त है। जन सूचना विभाग में जनता की टैक्स के पैसे का एवं सरकार के बजट का सही उपयोग किया है। अधिकारियों के माध्यम से साक्ष्य के साथ जनता के समक्ष सार्वजनिक करने की कृपा करें और मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है। साक्ष्य और सत्य के साथ कुछ लिख रहें हैं, या बोल रहें हैं तो उनकी लिखने और बोलने की आजादी पर प्रतिबंध न लगाया जाये। देश-प्रदेश में क्या सही हो रहा है, क्या गलत हो रहा है उससे सरकार एवं जनता तक पहुंचने में निष्पक्ष पत्रकारों का बहुत बड़ा योगदान है। निर्भिग्य, निडर, निष्पक्ष पत्रकारों को केन्द्र एवं राज्य सरकार अपना सहयोग प्रदान करे, जिससे वो और मजबूती से देश-प्रदेश की प्रगति, उन्नति में अपना योगदान और अच्छे से दे सकें। इस अवसर पर (अंतरिक्ष तिवारी ) जिलाध्यक्ष संरक्षक चंद्रधर द्रिवेदी,
प्रवक्ता प्रमोद कुमार साहू, उपाध्यक्ष आदित्य कुमार वैश्य,मिताली रस्तोगी,जिला महासचिव सत्य विक्रम सिंह, हरीओम तिवारी जिला प्रभारी ए• के• तिवारी महिला जिला अध्यक्ष संगीता श्रीवास्तव, खुर्शिता बानो,अंकित श्रीवास्तव,अमित श्रीवास्तव रोहित तिवारी,संदीप कुमार आदि पत्रकार उपस्थित रहे।
रिपोर्ट- मनोज कुमार तिवारी
राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद द्वारा शांतिपूर्वक धरना एवं प्रदर्शन कर माननीय मुख्यमंत्री को सौपा ज्ञापन
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