लॉकडाउन का लंबे समय से शिकार चित्रकूट का ‘सुपर प्वॉइंट ‘

80

– राघव प्रयाग घाट पर मन्दाकिनी में आकर मिलती है पयस्वनी और सरयू

– 2 दशक से यह अद्वितीय स्थल है उपेक्षा का शिकार

– श्री राम ने महाराज दशरथ की अस्थियों का विसर्जन व तर्पण यही किया था

– सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने माँ तेजी बच्चन की अस्थियों को 2008 में किया था विसर्जित

संदीप रिछारिया(वरिष्ठ संपादक)

दो दशक के समय बीत गया, लेकिन मन्दाकिनी में मिलने वाली पयस्वनी व सरयू नदी की हालत में कोई सुधार नही हुआ। भूमाफियाओं ने पहले धीमे धीमे नदियों की जमीनों को सुखाकर मकान व होटल बनाने शुरू किए,बाद में रही सही कसर यूपी और एमपी में मन्दाकिनी की सफाई का बड़ा सपना दिखाने वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों ने पूरी कर दी। आज की तारीख में हालत यह है कि मन्दाकिनी की सफाई के नाम पर नदी से गंदी घास निकालने की रस्म अदायगी करना एक शगल बन गया है। वैसे कुछ महीने पहले ही चित्रकूट के एक संत को मन्दाकिनी सफाई के अप्रतिम योगदान के लिए केंद्र सरकार ने सम्मानित भी किया था। कुछ दिन पहले बांदा के पूर्व डीएम हीरा लाल ने भी चित्रकूट के कुछ समाजसेवियों को सम्मानित किया था।

लेकिन वास्तविकता में मन्दाकिनी का हाल क्या है, किसी को कोई मतलब नही। पौराणिक आख्यानों में राघव प्रयाग घाट को इतना स्पेशल बताया गया है कि वर्ष में एक बार स्वयं प्रयागराज के यहाँ पर आकर स्नान किये जाने की बात की जाती है। लेकिन आज न तो दूध के समान धारा वाली पयस्वनी का पता है और न ही सरयू धारा का। प्रशासन की संवेदनशीलता का सबसे बड़ा प्रमाण तो इससे मिलता कि राजस्व के अभिलेखों में उसे नाला बना दिया गया है।

Click