चित्रकूटधाम: न बुंदेली न बधेली
– आजादी के बाद बने विध्य प्रदेेश में नही था बांदा शामिल
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– आजादी के बाद 1948 में बने विध्य प्रदेेश को वर्ष 1956 में किया गया था निरस्त
– बुंदेंलखंड की लड़ाई शंकर लाल महरोत्रा के बाद भानु सहाय लड़ रहे हैं जबकि विध्य प्रदेश के लिए नारायण त्रिपाठी तलवारेें भांज रहे हैं
सतना लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में वोट पड़ चुके हैं, जबकि बांदा चित्रकूट पर पांचवेें चरण में मतदान 20 मई को होना है। ऐसे में चित्रकूटधाम को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है। पुराने भाजपाईयों का दावा है कि प्रधानमंत्री चित्रकूट में आकर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं। उनका कहना है कि चित्रकूट को भाषाई के साथ भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाए। वैसे यह मामले का मांग पत्र सासंद आरके सिंह पटेल ने चुनाव के पहले प्रधानमंत्री को सौंप दिया था, जिसे उन्होंने सैद्वान्तिक रूप से स्वीकार भी किया था।
बचकानी हरकतें कर रहे छुटभैया नेता:प्रो0 त्रिपाठी
सनातन शोध संस्थान के अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो0 गोविंद त्रिपाठी कहते हैं कि आजादी के तुरन्त बाद भाषाई आधार पर राज्योें का निर्माण किया गया। 1948 में विध्य प्रदेेश बना। इस राज्य की राजधानी रींवा बनी और मुख्यमंत्री के रूप में रींवा नरेश मार्डन्ड सिंह राज प्रमुख बने। पन्ना नरेश यादवेंद्र सिंह उप प्रमुख बनाए गए। इसके बाद अवधेश प्रताप सिंह बने। इसमें पांच जिले सतना, रींवा, सिंगरौली, सीधी और शहडोल शामिल किये गये थे। वर्ष 1951 में आम चुनाव के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एसएन शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया गया। 31 अक्टूबर 1956 को कतिपय कारणों के कारणों सेे राज्य भंग कर मध्य प्रदेश में मिला दिया गया। विंध्य प्रदेेश के अन्तर्गत चार जिलोें पन्ना, छतरपुर,टीकमगढ़, दतिया को लेकर बुंदेलखंड संभाग में बांटा गया था। इसकी राजधानी नौगांव बनाई गई थी और इसके मुख्यमंत्री कामता प्रसाद सक्सेना जी थे। 31 अक्टूबर 1956 को इसे भी मध्य प्रदेेश में विलय कर दिया गया था।
प्रो0 त्रिपाठी कहते हैं कि ऐतिहासिक रूप से जब केंद्र सरकार ने गलती स्वीकार कर राज्य को हटा दिया तो फिर इसकी दोबारा मांग करना ही गलत है। दूसरी बात यह कि जब बुंदेलखंड संभाग या विध्य प्र्रदेश में यूपी के किसी भी जिले का कोई संबंध नही था तो इसे अनावश्यक क्यों जोड़ा जा रहा है। तीसरी बात अगर भाषाई आधार पर बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए झांसी, ललितपुर, उरई, महोबा को इसमें लेने की बात की जा रही है तो यहह स्वीकार्य है। क्योंकि इन जिलों में बुंदेली बोली जाती है, बांदा और चित्रकूट में बुंदेली या बधेली का कोइई प्रभाव नही है। बांदा चित्रकूट के 84 कोस परिक्षेेत्र के अन्तर्गत आता है। इसलिये हम केवल चित्रकूट केंद्र शासित प्रदेश की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि 22 नवंबर 23 को आनंद रिजार्ट में चित्रकूट अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस की गई थी। इसमें प्रमुख मांग चित्रकूटधाम को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की थी। इस आशय का पत्र सांसद आरके सिंह पटेल ने प्रधानमंत्री को सौंपा भी है।
संसद में उठेगा चित्रकूट केंद्र शासित प्रदेश का मुद्दाः आरके पटेल
बांदा-चित्रकूट के सांसद आरके सिंह पटेल कहते हैं कि पहले हमें चित्रकूटधाम केन्द्र शासित प्रदेश के बारे में जानकारी नही थी। मेरी पूरी लोकसभा क्षेत्र चित्रकूट के 84 कोस के अन्तर्गत आती है। पिछली बार हमने प्रधानमंत्री को यह मुद्दा लिख कर दिया था। इस बार संसद में नियम 60 के अन्तर्गत चर्चा के लिए रखवाया जाएगा। पिछले कार्यकाल में एक्सप्रेस वे, एयर पोर्ट, डिफेंस कारीडोर जैसी बड़ी परियोजनाएं चित्रकूट आईं, लेकिन इस बार उनका मिशन चित्रकूट केंद्र शासित प्रदेश निर्माण कराने का होगा। जिसके बाद यहां की सम्पूर्ण धरा का विकास अत्यंत तेजी से होगा।
रिपोर्ट- संदीप रिछारिया
विध्य और बुंदेलखंड राज्य निर्माणकारियों का चित्रकूट पर दावा गलत
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