सच क्या…घरार नदी या गहरार नाला

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आखिर क्यों प्रशासन और समाजसेवी के बीच हो गई गुत्थम गुत्था

रिपोर्ट – आशीष दीक्षित

बाँदा। भवंरपुर के गहरार नाले की सफाई ने फिर पकड़ा तूल।कथित श्रमदानी संस्था संचालक के साथ लखनऊ जाने का किये स्यापा तो बिलरहका प्रधान के समर्थन में उतरें ग्रामीण। भवंरपुर की हरिजन बस्ती में एकत्र हुए प्रायोजित श्रमदानी,विद्याधाम समिति के राजाभैया यादव ने बंधवाए पीले गमछे,महिलाओं ने सर पर रखी कलश सरीखी मटकी। मने अधजल गगरी छलकत जाए,अंदरखाने की हकीकत कौन बतलाये ?नरैनी के आसपास थानों की पुलिस, डीडीओ मनरेगा मौके पर रहे मौजूद,प्रवासी श्रमदानी बने मजदूरों ने ज़िद की लखनऊ जाएंगे,मुख्यमंत्री योगी को प्रशासन की शिकायत बतलायेंगे! कुछ घण्टे चली पगडण्डी से राजधानी जाने कवायद फिर एक सप्ताह में जांच करने की मौहलत के बीच मनरेगा बनाम श्रमदान का शिगूफा ठंडा हुआ।इधर बाँदा मुख्यालय ग्रामपंचायत बिलरहका के किसानों,मजदूरों ने प्रधान रामनरेश सिंह के समर्थन में संस्था विद्याधाम समिति के विरोध में दिया जांच का शिकायती मांगपत्र।किसानों ने राजाभैया पर लगाये क्षेत्र की समरसता क्षतविक्षत करने के आरोप,देशी-विदेशी अनुदान लेकर किये कार्यो की जांच करने सहित अन्य आरोप की निष्पक्ष जांच करवाने का जिलाधिकारी से किया निवेदन।

✒मसला बुंदेलखंड के बाँदा की तहसील नरैनी का हैं। यहां की पंचायत बिलरहका के मजरा भवंरपुर में बीते 22 मई से शुरू हुये मनरेगा कार्य मे करीब 12 जून से 51 प्रवासी मजदूरों के द्वारा श्रमदान से बरसाती गहरार नाले को घरार नदी बतलाकर सफाई करने का दावा किया गया। सराहनीय पहल की नजर से स्थानीय व बाहरी मीडिया ने अंधभक्त होकर लगातार इस छद्म नदी ज़िंदा अभियान को सुर्खियों में लाया। बड़ी बात तब साबित होने लगी जब सीएम योगी तक पहुंच बनाकर जालौन की परमार्थ संस्था के संजय सिंह,अनिल शर्मा आदि ने अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी तक यह बात पहुंचा दी। आनन-फानन में उन्होंने मुख्यमंत्री स्मृति पटल तक यह मुद्दा संज्ञान लाया और सीएम ने श्रमदानी जनों को सम्मानित करने की घोषणा कर दी। इस घोषणा से प्रशासन में अफरातफरी मची की यह मीडिया ट्रायल मनरेगा के साथ ब्यूरोक्रेसी की कार्यशैली पर बट्टा लगा देगा। इस बीच एक शोध छात्र व ग्राम प्रधान के मध्य टेलीफोनिक ऑडियो वायरल हुई जिससे इस सुनियोजित स्क्रिप्ट की कुछ सच्चाई स्पष्ट होने लगी। हरकत से आये प्रशासन ने जब सख्ती बरती तो कथित श्रमदानी और संस्था विद्याधाम समिति बनाम प्रधान रामनरेश सिंह पलटवार शुरू हुआ। बतलाते चले इस गहरार नाले उर्फ घरार नदी के ट्रायल में जलशक्ति मंत्रालय तक जुगाड़ लगाई गई थी। इतना ही नहीं एक न्यूज चैनल ने तीन बार ट्रक भरकर राशन श्रमदानी के बीच वितरण करवाया। वहीं कानपुर की श्रमिक भारती से धान बीज दिया गया। बाँदा की बड़ी समाजसेवी ठेकेदार जमात इस मुहिम में शामिल रही है तो कुछ पत्रकार सूरदास होकर सक्रियता बनाये रखे। कमोवेश यह अन्य जगहों पर होने वाले एनजीओ पैंतरों की तर्ज पर सम्पन्न हुआ। आज ग्रामीणों ने हाथ मे तख्तियां लेकर स्लोगन-नारेबाजी में आक्रोश व्यक्त कर कहा कि- भूख से मौतें,झूठी खबरें,नरैनी की जनता को अखरें। बकौल प्रधान रामनरेश श्रमदानी / सभी मजदूरों के मस्टररोल उपलब्ध है जिन्हें मजदूरी दी है। पीटीबी को मस्टररोल व्हाट्सएप किये गए है। बैरहाल डीएम ने सिटी मजिस्ट्रेट के बजरिये ज्ञापन लिया और किसानों को जांच का ढाँढस बंधाया। इसका भविष्यगत मजनून क्या निकलेगा यह तो वक्त पर छोड़ देना बेहतर है लेकिन बुंदेलखंड सरोकारी समाजसेवा का चारागाह बन चुका है इसमें हरगिज भी संशय नहीं बचा हैं। राजनीति की तरह यह सेक्टर भी विपथगामी हो गया है।

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