समाधान का केंद्र चित्रकूट बना समस्याग्रस्त

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सात अखाड़ों के महंतों ने केंद्र सरकार से कहा-चित्रकूट का बनाएं केंद्र शासित प्रदेशयूपी और एमपी के चक्कर में नहीं हो पा रहा है विकास

चित्रकूट। विश्वयुगीन समस्याओं के समाधान के केंद्र के परिभाषित किये जाने वाला चित्रकूट खुद समस्याग्रस्त है। समस्या इतनी विकराल है कि चित्रकूट विकास की दौड़ में काफी पीछे हो गया है। सूचना के विस्फोेट के युग में भी चित्रकूट का विकास अभी आदिम युग में ही चल रहा है। यह बातें गुरूवार की दोपहर धर्मनगरी के आनंद रिसार्ट में सात अखाड़ों के महंतों ने पत्रकारों से कहीं।
उन्होंने कहा कि हम लोग न तो बुंदेली हैं और न ही बधेली, हम तो चित्रकूट के हैं और चित्रकूट सबका है, इसलिए अब केंद्र सरकार हमें यूपी, एमपी, बुंदेली, बघेली के बंधन से मुक्त कर चित्रकूट के 84 कोस परिक्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर विकास का उपहार दे। जब तक हमें केंन्द्र सरकार अपने आधीन नही लेगी तब तक हमारा सर्वांगीण विकास नही होगा।
संतोषी अखाड़े के महंत रामजी दास महराज ने कहा कि चित्रकूट की महिमा का गुणगान तो लगभग सभी वेद, पुराण, भगवतगीता में है। चित्रकूट तपोस्थलियों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। तभी तो प्रभु श्री राम ने अपने वनवास काल का सर्वाधिक समय दिया। उन्होंने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश की मांग पूूर्व में सिहस्थभूषण प्रेम पुजारी दास जी महराज, पंजाबी भगवान, भारतरत्न नानाजी देशमुख, पदमविभूषण जगद्गुरू राम भद्राचार्य जी महराज आदि समय समय पर करते रहे हैं। अगर वास्तव में चित्रकूट की महिमा को और आगे बढाना चाहती है तो इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाए।

दिगंबर अखाड़े के महंत दिव्यजीवनदास जी महराज ने कहा कि ंचित्रकूट को चिंताहरण के रूप में परिभाषित किया जाता है।विश्वयुगीन समस्याओं के समाधान के रूप में बताया जाता है, लेकिन आज यह खुद समस्याग्रस्त है। केंद्र सरकार इसे प्रदेशोें के बंधन से मुक्त कर अबअपने नियंत्रण में लेकर वास्तविक विकास करवाए।श्रीराम व भरत के अनन्य प्रेम को दर्शाने वाली तपोभूमि अन्य धर्मक्षेत्रों की तरह विकास के सोपान नही चल सकी है। इसका कारण धर्मक्षेत्र का दो प्रदेशों में बंटा होना है। आदि काल के ऋषियों की तपस्थली चित्रकूट वास्तव में 84 कोस परिक्रमा का एक सर्किंट है।जंगल कानन में विभिन्न आदिकाल के ऋषियों के आश्रम हैं।

प्रकृति के आंचल में घनघोर जंगल है, वन प्रस्तर में गुफाएं हैं। प्रकृति के नैर्सगिक सौदर्य के बीच विशालकाय झरने हैं।हम आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि विश्व युगीन समस्याओं के समाधान के इस केंद्र को अभी तक दो प्रदेशों में विभिन्न स्थान होने के कारण विकास की दृष्टि से वह न्याय मिल सका है जिसका वह हकदार है। यूपी और एमपी की सीमा में बंटे इस क्षेत्र को अभी दोनों सरकारों ने मुक्त क्षेत्र तो घोषित किया है लेकिन वह पर्याप्त नही है। इस 84 कोस के भूभाग को अगर केंद्र सरकार अपने पास रखे और इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दे तो इस अनोखे तीर्थ का विकास द्रुतगति से होना संभव होगा।

निर्वाणी अखाड़े के महंत सत्यप्रकाश दास जी कहा कि श्री चित्रकूटधाम विश्व का एक मात्र ऐसा महान तीर्थ है जहां पर धार्मिक, आध्यात्मिक, पौराणिक व ऐतिहासिक व साथ ही पर्यटकीय दृष्टि से प्रकृति ने अपना वैभव लुटाया है। यहां पर स्वयं परमपिता ब्रहमा जी ने सृष्टि की रचना का प्रारंभ किया, और सप्त़ऋषियों के साथ देवर्षि नारद, माता सरस्वती के साथ अन्य महान विभूतियों को प्रकट किया। परमपिता ब्रहमा ने अपने तपबल से स्वर्ग की नदी पयस्वनी को अपने कमंडल से उत्पन्न किया तो महासती अनुसुइया ने अपने तपबल से माता मंदाकिनी को प्रकट किया। माता सरयू के साथ ही श्री कामदगिरि पर्वत से प्रकट होने वाली अन्य 75 जलधाराएं अपनी विशेषताओं के कारण प्रसिद्व हैं। सतयुग, त्रेता, द्वापर, के साथ कलियुग में चित्रकूट विश्वयुगीन समस्याओं के समाधान के रूप में सदैव परिलक्षित होता रहा है। विश्व भर से लोग यहां पर आकर मां मंदाकिनी में स्नान कर श्री कामदगिरि की परिक्रमा कर अपनी समस्याओं के समाधान की राह देखते हैं।
इस दौरान महानिर्वाणी अखाड़े के महंत आदित्यदास जी महराज, खाकी अखाड़े के महंत अनूप दास व महंत रामजनम दास ने भी संबोधित किया।

सभा का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व चिंतक संदीप रिछारिया ने कहा कि हम लोग अपनी सात मांगे आप पत्रकारो के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। यह मांगे आगे समय पर केद्र सरकार के विभिन्न नेताओं व अधिकारियों के पास भी भेजी जाएंगी। उन्होंने कहा श्री चित्रकूटधाम के 84 कोस परिक्षेत्र को केंद्र सरकार अपने आधीन लेकर केंद्र शासित प्रदेश बनाए। चित्रकूट नगर पालिका क्षेत्र में पूर्ण रूप से शराब, मुर्गा, बकरा, अंडा व पान मसाला, बीडी सिगरेट की बंदी की जाए। जिससे यहां पर आने वाले यात्रियों की भावनाएं दूषित न हों। धार्मिक आधार पर श्री कामदगिरि परिक्रमा को नंगे पैर लगाया जाता है, पर अभी हाल के दिनों से कुछ बाहर के लोग जूते चप्पल पहनकर परिक्रमा लगा रहे हैं, इस पर पूर्ण से बंदी की जाए। श्री कामदगिरि परिेक्रमा में जूते पहनकर परिक्रमा करने वालों पर दंड का प्रावधान किया जाए तो इस पर रोक लग सकती है। श्री चित्रकूटधाम चार परिक्रमा का महत्व हैं। ब्रहमपुरी की परिक्रमा, श्री कामदगिरि की परिक्रमा, पंचकोशीय परिक्रमा व चौरासी कोस की परिक्रमा इरन सभी परिक्रमा का समुचित विकास कर प्रचार प्रसार के माध्यम से इसका महत्व आम लोगों तक पहुंचाया जाए। मंदाकिनी, पयस्वनी, सरयू नदी के मिलन स्थल राघव प्रयाग घाट को सुंदरतम तरीके से विकसित किया जाए।

इस मौके पर आभार प्रदर्शन करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी आनंद प्रताप सिंह पटेल ने कहा कि वह कौन से कारण हैं जिसके चलते जिसके कारण देवताओं और ऋषियों द्वारा सेवित चित्रकूट का स्वरूप नही बदल रहा है।आज भी समस्याएं चित्रकूट में सभी ओर दिखाई देती हैं। इनका एक मात्र समाधान चित्रकूट को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से ही हल होगा।

  • समाधान का केंद्र चित्रकूट बना समस्याग्रस्तपुष्पराज कश्यप
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