सर्व सेवा संघ परिसर से लोगों को हटाने को प्रतिवाद सभा ने अमानवीय बताया, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

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  • सर्व सेवा संघ में प्रशासन की कार्रवाई न्यायालय की अवमानना: चंदन पाल

  • कब्जे की कार्रवाई करने वाले अधिकारी प्रशासनिक गोडसे: राम धीरज भाई

  • जबरिया खाली कराए जाने का मिलकर करना होगा विरोध: डॉ राजेश मिश्रा

  • शास्त्री घाट पर प्रतिवाद सभा में इस कृत्य को अलोकतांत्रिक बताया

    वाराणसी। संत विनोबा भावे एवं लोकनायक जय प्रकाश नारायण द्वारा 60 वर्ष पूर्व स्थापित सर्व सेवा संघ परिसर राजघाट को पुलिस बल प्रयोग द्वारा प्रशासन और रेलवे द्वारा खाली कराए जाने के विरोध में गांधीवादी व समाजवादी जनता और वाराणसी के राजनीतिक तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा प्रतिवाद सभा का आयोजन शास्त्री घाट पर किया गया।

सभा में वक्ताओं ने प्रशासन और रेलवे द्वारा परिसर से लोगों को अमानवीय तरीके से बाहर किये जाने की कार्यवाही को गुंडागर्दी, अन्यायपूर्ण और विधि विरुद्ध बताया।

सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि परिसर को जबरिया खाली कराने की कार्यवाही न्यायालय की अवमानना है क्योंकि मामले की सुनवाई न्यायालय में लंबित है। उन्होंने आगे कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से अपना पक्ष रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को शांति भंग की धारा में चालान कर जेल भेजने की कार्यवाही प्रशासन की हताशा है।

सर्व सेवा संघ परिसर राजघाट के संयोजक राम धीरज भाई ने कहा कि विगत शनिवार को प्रातः 7 बजे रेलवे और जिला प्रशासन के अधिकारी सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल और नशे में धुत सफाईकर्मियों को लेकर परिसर में बिना किसी आदेश या नोटिस के परिसर में आ गये और जबरिया क्रूरतापूर्वक सभी 30 आवासों से लोगो का सामान बाहर फेंकवा दिए। लोगों के कीमती सामान नष्ट हो गए।

सर्व सेवा संघ प्रकाशन की करोड़ो रूपये मूल्य की किताबे बाहर खुले में बारिश में भीगने के लिए फेंक दी गयी, जिनमे बहुत से पुस्तकें दुर्लभतम हैं। हजारों पुस्तकें खराब हो गईं।

पुलिस प्रशासन और रेलवे की इस बर्बर कार्यवाही के दौरान किसी को भी बाहर से आने या बाहर जाने पर रोक लगा दी गयी थी और परिसर की बिजली भी काट दी गयी थी। मीडिया का भी प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। परिसर के सीसी कैमरों को पुलिस वालों से तोड़ दिया। प्रशासन द्वारा यह कृत्य अलोकतांत्रिक और अवैधानिक कहा जायेगा। इस कृत्य को करने वाले अधिकारी प्रशासनिक गोडसे हैं।

सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार गांधी विनोबा और जेपी के विचारों से डरती है और उनसे जुड़े स्मारकों और पुस्तकों को नष्ट करने पर आमादा है। जबकि ये विचार दुनिया के कोने कोने में स्वीकार्य हो चुके हैं।

सभा के क्रम में पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा ने भी घटना पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि हमें ऐसी घटनाओं का प्रबल विरोध दर्ज कराना ही होगा नही तो सत्ता निरंकुश होती जाएगी। सभा को प्रमुख रूप से रामबेटी, राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, दिनेश सिंह, राजेन्द्र मिश्र, अफ़लातून, जागृति राही, प्रजानाथ शर्मा, फादर आनंद, देवेंद्र भाई, अरविंद सिंह, अरुण श्रीवास्तव, वीरेंद्र यादव, संजीव सिंह, विनय शंकर राय मुन्ना, सलमान, आदि ने भी विचार प्रस्तुत किये।

सभा की अध्यक्षता आशा बहन, संचालन नंदलाल मास्टर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ नीति भाई ने किया। प्रतिवाद सभा के बाद उपस्थित लोगों ने प्रतिरोध मार्च निकाला और जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन दिया जिसमे प्रमुखता से मांग की गयी कि मामले को संज्ञान लेते हुए राष्ट्रपति महोदया तत्काल हस्तक्षेप करें और राष्ट्रीय महत्व की इस संस्था को बर्बाद करने की सम्बन्धित विभागों की गतिविधि पर अंकुश लगायें।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से लोक समिति, लोक चेतना समिति, सर्वोदय मंडल, साझा संस्कृति मंच, लीला फाउंडेशन, महिला चेतना समिति, दखल संगठन, आशा परिवार, मनरेगा मजदूर यूनियन, खदान मजदूर संगठन, आदिवासी बनवासी कल्याण, समिति, पूर्वांचल किसान यूनियन, गोंडवाना पार्टी, समाजवादी जन परिषद, प्रेरणा कला मंच, केयर फ़ॉर एयर, जन विकास समिति, कांग्रेस, खेती बचाओ संघर्ष समिति, आम आदमी पार्टी, कम्युनिस्ट फ्रंट, समाजवादी पार्टी, संयुक्त किसान मोर्चा, अपना दल कमेरा वादी, प्रबोधिनी फाउंडेशन, संगतिन किसान मजदूर संगठन, आदि के प्रतिनिधियों की भागीदारी रही।

जिसमें अरविंद सिंह, सलमा किन्नर, मनीष शर्मा, अनूप श्रमिक, धनन्जय, राजकुमार गुप्ता, हौशला यादव, फादर जयंत, एकता सिंह, सानिया अनवर, सतीश चौहान, इंदू पाण्डेय, सुरेश राठौर, एकता सिंह, वल्लभाचार्य पांडेय, महेंद्र राठोर, अपर्णा, चौधरी राजेन्द्र, रामजी यादव, रंजू सिंह, हरिराम बनवासी, अरविंद अंजुम, राजकुमार भारत, फादर दयाकर, जगन्नाथ कुशवाहा सहित सैकड़ों लोगों की उपस्थिति रही।

राजकुमार गुप्ता

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