सूर्य नमस्कार एवं हनुमान चालीसा के साथ दीनदयाल शोध संस्थान के आवासीय परिसर में मना श्रीहनुमान जन्मोत्सव

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चित्रकूट। पृथ्वी पर सूर्य को ही देव माना गया है, क्योंकि सृष्टि संचालन में सूर्य का सबसे बड़ा रोल होता है। ऐसे में जीवनशैली संबंधी बीमारियों का सूर्य की शक्तियों द्वारा निदान कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार भी योग की चुनिंदा आसनों में से एक है, जिसमें कई बीमारियों को जड़ से दूर करने में कारगर माना गया है।

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने दुनिया की सभी महाशक्तियों को घुटने के बल खड़ा कर दिया है, ऐसे में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने समय-समय पर अपने आध्यात्मिक चिंतन, योग और पारंपरिक मूल्यों के बलबूते दुनिया को दिशा देने का काम किया है। इसी दृष्टि से आज हनुमान जयंती के पावन अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति के आह्वान पर दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के आवासीय परिसर उद्यमिता विद्यापीठ में कार्यकर्ता परिवारों की महिलाओं एवं बच्चों ने श्री हनुमान चालीसा का पाठ करके सूर्य नमस्कार का अभ्यास किया।

इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरी तरह पालन किया गया। सूर्य नमस्कार के अभ्यास में सभी ने प्रणामासन, हस्त उत्तानासन, उत्तानासन, अश्व संचालनासन, चतुरंग दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, अधोमुक्त श्वनासन, अश्व संचालनासन, उत्तानासन हस्त उत्तानासन, प्रणामासन करके सभी ने 12 आसन पूर्ण किए।

इस अवसर पर मंजू सिंह ने कहा कि सूर्य नमस्कार से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्मरण शक्ति बढ़ती है। सूर्योदय के समय सूर्य की ओर मुख करके सूर्य नमस्कार, सूर्य उपासना, संध्योपासना पूजा पाठ, हवन यज्ञ आदि सभी शुभ कार्य करने की सलाह दी गई है। इससे व्यक्ति को धार्मिक लाभ के साथ, वैज्ञानिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। सूर्य उपनिषद के अनुसार समस्त देव, गंधर्व एवं ऋषि भी सूर्य की किरणों में ही निवास करते हैं। इसीलिए हमारे सारे संस्कार पूर्व दिशा में ही मुख रखकर करने की सलाह दी जाती है इस प्राचीन परंपरा का आज भी निर्वाह किया जा रहा है।

इस दौरान सभी को कोरोना महामारी को लेकर जागरूक भी किया गया और उससे बचाव के उपाय के साथ हैन्ड सैनिटाइजिंग के बारे में बताया साथ ही बाजार से सब्जी फल लाने के दौरान घर पर ही उन्हें कैसे सैनेटाइज कर सकते हैं, इसके बारे में भी बताया गया।

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