हमारी वर्तमान पीढ़ी को संस्कृत पढ़ने और जाने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है- आनंद गोस्वामी

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महोबा , राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय चरखारी में शनिवार को संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत भारतीय संस्कृति में संस्कृत का योगदान विषय पर संगोष्ठी का कार्यक्रम संपन्न हुआ। संगोष्ठी का शुभारम्भ सरस्वती वंदना से हुआ। छात्र-छात्राओं ने संस्कृत भाषा के विषय में अपने विचार व्यक्त किये तथा संस्कृत में ज्ञान विज्ञान शिक्षा तथा व्यवहारिक जीवन में अपनाने की भी आवश्यकता जताई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर आनंद गोस्वामी ने कहा कि संस्कृत में ही हमारा भारतीय ज्ञान विज्ञान निहित है तो हमारी वर्तमान पीढ़ी को संस्कृत पढ़ने और जाने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है ताकि अपनी भारतीय संस्कृति को जान सकें।

संस्कृत सप्ताह एवं संस्कृत संगोष्ठी के संयोजक संस्कृत विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर उमाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत भारतीय ज्ञान विज्ञान की भाषा है भारतीय संस्कृति को जानने की भाषा है भारत का ज्ञान विज्ञान अत्यधिक उन्नत था वह सब कुछ संस्कृत में है और बिना बिना संस्कृत ग के अध्ययन के हम उसे भारतीय उन्नत ज्ञान से परिचित नहीं हो सकते भारतीय संस्कृति से परिचित नहीं हो सकते और हम सच्चे भारतीय नहीं कहला सकते अतः शिक्षा और संस्कारों की भाषा संस्कृत भाषा को प्रत्येक भारतीय के लिए जानना आवश्यक ही नहीं अभी तो उसके गौरव का विषय है अतः चाहे वह डॉक्टर हो इंजीनियर हो चाहे इस हो आईपीएस हो या कोई भी चाहे वह प्रोफेसर हो चाहे शिक्षक हो चाहे पत्रकार हो हर व्यक्ति को भारत के हर नागरिक को संस्कृत का ज्ञान होना आवश्यक है सभी को प्रयत्न करना चाहिए आज पूरे भारत में संस्कृत सप्ताह जगह-जगह मनाया जा रहा है।

जो 16 अगस्त से 22 अगस्त 2024 तक चलेगा। संस्कृत दिवस प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। संगोष्ठी का संचालन करते हुए डॉक्टर सुमन सिंह ने कहा की संस्कृति से है हम सभी संस्कार सिखाते हैं संस्कृत में जहां दार्शनिक विचारों के ग्रंथ है वही हमारे मानवता और नैतिकता तथा आदर्श की भी रामायण महाभारत जैसे ग्रंथ पूरी दुनिया के लिए आदर्श है जो हमारे भारतीय संस्कृति को बड़े अच्छे से रेखांकित करते हैं l डॉक्टर मंजू सिंह एसिस्ट असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत में कहां के भारतीय संस्कृति परंपरा में जो कुछ अच्छा बस है पराया करके हमारे संस्कृत के ग से ही प्राप्त हुआ है चाहे वह हिंदी हो या अन्य भाषाओं में कुछ कहावतें हो सब में संस्कृत का प्रभाव देखा जा सकता है l डॉक्टर हरिओम सिंह वर्मा ने भी अपने विचारों में व्यक्त किया कि आज यदि हमें समाज और परिवार को अच्छे विचार और व्यवहार के साथ चलना है तो हमें सभी को अपने जीवन में संस्कृत को अपनाना चाहिए उनके ग को पढ़ना चाहिए भारतीय संस्कृति को जानना चाहिए।

एलएल डॉ अशोक कुमार ने यह बताया कि संस्कृत के द्वारा ही हमें पता चला है कि मातृ देवो भव पितृ देवो भव आचार्य देव हो अर्थात् हमें माता का पैर छूना चाहिए पिता का पैर छूना चाहिए आचार्य के गुरुओं के पैर छूना चाहिए अभिवादन करना चाहिए क्योंकि इससे हमारी आयु बढ़ती है ज्ञान बढ़ता है तो यह हमें संस्कृत ही बताती है । डॉ अजित नारायण गुप्ता ने कहा कि कंप्यूटर की भाषा संस्कृत को आज सबसे उपयुक्त बताया गया है l आज विज्ञान के शोध नए-नए आविष्कारों में भी संस्कृत का बड़ा योगदान देखा जा रहा है नासा के वैज्ञानिकों ने भी संस्कृत की कक्षा लेना शुरू कर दिया है आज पूरी दुनिया में संस्कृत के लिए संस्कृत के ज्ञान के लिए सभी में उत्साह है हम सबको भी संस्कृत पढ़ना चाहिए इस अवसर पर डॉ दीपक सिंह ने यह बताया कि संस्कृत में आचार्य चाणक्य का कौटिल्य एवं अर्थशास्त्र ग्रंथ निश्चय ही राजनीति शास्त्र तथा अर्थशास्त्र का बहुत अच्छा ग्रंथ है और उसे हम पढ़ करके राजनीति शास्त्र में एक नया शोध प्रस्तुत कर सकते हैं।

इस अवसर पर छात्र छात्राएं तथा महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक कर्मचारी उपस्थित रहे। डॉ एनके सोनी डॉक्टर संजीव गुप्ता डॉक्टर रितु चतुर्वेदी, कार्यालय अधीक्षक गजेंद्र पाल सिंह जितेंद्र कुमार सोनी अरुण कुमार अनुपम उपाध्यक्ष जितेंद्र कुमार मिश्रा आलोक कुमार द्विवेदी राजचंद्र तिवारी भान सिंह दरोगा आदि कर्मचारी भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में संगोष्ठी एवं संस्कृत भारती के जिला संयोजक प्रोफेसर उमाशंकर त्रिपाठी ने संस्कृत गीत एवं श्लोक का अभ्यास करने के लिए छात्रों का आह्वान किया और कहा कि संस्कृत गीतों का गायन करके जहां मनोरंजन होता है वहीं हमारी भारतीय संस्कृति का ज्ञान भी होता है अतः गीत और श्लोक का अभ्यास करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में संगोष्ठी में डॉ दीपक सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सुमन सिंह ने किया।

रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल

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