- यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर मामला हाईकोर्ट में था पेंडिंग
- 11 फरवरी 2011 के शासनादेश पर हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी
- 2015 को आधार वर्ष बनाकर आरक्षण सूची जारी करने का हाई कोर्ट ने दिया आदेश
पंचायत चुनाव में आरक्षण पर फंसा पेच, हाई कोर्ट में योगी सरकार की यह है तैयारीलखनऊ – उत्तर प्रदेश सरकार को पंचायत चुनाव में आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट से झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण तय करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद राज्य सरकार की ओर से हाल में जारी हुई आरक्षण सूची बदल जाएगी। अब नये सिरे से हर सीट का आरक्षण तय किया जाएगा।
हाई कोर्ट के नई आरक्षण प्रक्रिया को खारिज करने के साथ ही जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और जस्टिस मनीष माथुर की बेंच ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 25 मई तक संपन्न कराने के भी आदेश दिए हैं।यह है मामला
बता दें कि अजय कुमार ने प्रदेश सरकार के 11 फरवरी 2011 के शासनादेश पर हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। तर्क दिया कि इस बार की आरक्षण सूची 1995 के आधार पर जारी की जा रही है, जबकि 2015 को आधार वर्ष बनाकर आरक्षण सूची जारी की जानी चाहिए, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतिम आरक्षण सूची जारी किए जाने पर रोक लगा दी थी।
250 लोगों ने की है आपत्तिसीटों के आरक्षण की सूची पर 250 लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई गई थी। जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार त्रिपाठी का कहना है कि फिलहाल अभी आरक्षण की अंतिम सूची के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई है। सोमवार को हाई कोर्ट के फैसले के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
161 ग्राम पंचायत पर होना है चुनाव
जिले में 161 ग्राम पंचायत पर चुनाव होना है। इसके अलावा 14 जिला पंचायत सदस्य, 323 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 2141 ग्राम पंचायत सदस्यों का चुनाव होना है। जिला प्रशासन की तरफ से आरक्षण सूची जारी कर दी गई थी। जिला प्रशासन की तरफ से चुनाव की तैयारी भी तेजी के साथ की जा रही है। जिले में इस बार 5 लाख 56 लाख मतदाता वोटिंग करेंगे, जो पिछली बार से 63 हजार अधिक होंगे। जिले में 311 मतदान स्थल और 958 मतदेय स्थल बनाए गए हैं।
Courtesy – NBT Input