राकेश कुमार अग्रवाल
झांसी। उत्तर मध्य रेलवे सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में क़्वांटम बढ़ोत्तरी के लिए अपनी खाली पड़ी भूमि का उपयोग करने जा रहा है।
“गो ग्रीन पहल” के अन्तर्गत, उत्तर मध्य रेलवे ने अपनी सर्विस बिल्डिंगों, प्लेटफॉर्म शेडों, कार्यशालाओं और अन्य इमारतों की छतों पर सोलर पावर प्लांट स्थापित कर रेन्यूएबल ऊर्जा के उपयोग को निरंतर बढ़ाया है। उत्तर मध्य रेलवे में कार्यालयों और अन्य इमारतों की छतों पर 11 मेगावॉट से अधिक के सोलर पावर प्लांट की स्थापना की जा चुकी है। वर्ष 2019-20 में लगभग 5 करोड़ मूल्य की 85.55 लाख यूनिट विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया गया है। सौर ऊर्जा के प्रयोग से सालाना 7011 टन CO2 के उत्सर्जन में भी कमी आई है।
कुल स्थापित क्षमता में 3.845 मेगावॉट सौर पैनल प्रयागराज में, 1.2 मेगावॉट सौर पैनल झांसी में और 1.5 मेगावॉट सौर पैनल आगरा मंडल में स्थापित किए गए हैं, जबकि 4.1 मेगावॉट और 0.5 मेगावॉट क्षमता के सौर संयंत्र क्रमशः झांसी कार्यशाला और रेल स्प्रिंग कारखाना सिथौली, ग्वालियर में स्थापित किए गए हैं। उत्तर मध्य रेलवे के विभिन्न भवनों की छ्तों पर 1.86 मेगावाट क्षमता के रूफटॉप सौर संयंत्र की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है।
सौर ऊर्जा के उत्पादन में एक बड़ी पहल के अंतर्गत, उत्तर मध्य रेलवे रिक्त रेलवे भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करने जा रहा है, जो सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में वृहद वृद्धि करेंगे। उत्तर मध्य रेलवे के विभिन्न स्टेशनों के पास 185 एकड़ खाली भूमि की पहले ही पहचान कर ली गई है और इस उद्देश्य के लिए मंजूरी दे दी गई है और रेलवे के ट्रैक्शन सब-स्टेशनों के निकट 201 एकड़ भूमि की मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है। 4 एकड़ भूमि पर 1MWp बिजली उत्पादन के सामान्य गणना के साथ, उत्तर मध्य रेलवे भविष्य में लगभग 100 मेगावॉट अतिरिक्त सौर ऊर्जा के उत्पादन में सक्षम होगा।