18वीं लोकसभा में हो सकती है ‘मार‘

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एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 251 सांसदों पर हैं क्रिमिनल केस
– पन्द्रह साल में 124 फीसद बढ गये दागी माननीय
– 27 सांसदोें को अलग- अलग अदालतों में अपराधिक मामलोें में हो चुकी है सजा
– 17 वीं संसद में 233 दागी सांसद लोकसभा पहुंचे थे।

दिल थाम कर बैठिये, जल्द ही आपको पाकिस्तान जैसी संसद का नजारा हिंदुस्तान की संसद में दिखाई देगा। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार इस बार की संसद में दागी माननीयों की संख्या अपने पूरे शवाब पर है। इस बार संसद में 543 सांसदों में से 251 सांसद आपराधिक मामलोें में पुुुलिस रजिस्टरों की शोभा बढ़ा रहे हैं। 27 सांसद तो किसी ने किसी अदालत सेे दोषी भी करार दिये जा चुके हैं। एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिव रिफॉर्म्स एडीआर के मुताबिक दागी सांसदों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले 2019 में क्रिमिनल केस वाले 233 माननीय लोकसभा पहुंचे थे। नये चुने गये सांसदों में से 170 पर बलात्कार, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ केस दर्ज हैं। भाजपा के 63, कांग्रेस के 32, सपा के 17 सांसदोें पर गंभीर मामलेे दर्ज है। लिस्ट में तृणमूल कांग्रेस के 7,टीडीपी के 5, शिवसेेना के 4 सांसदों के नाम हैं।

आपराधिक मामलों में सबसे उपर सांसद की बात की जाए तो वह कांग्रेस से आते हैं। केरल की इडुक्की सीट से कांग्रेस के डीन कुरियाकोस लोकसभा पहुंचेे हैं। डीन ने 1.33 लाख वोटों से जीत दर्ज की हैं। उन पर करीब 88 आपराधिक मामले दर्ज हैं। लिस्ट में दूसरा नाम केरल के ही वडगरा के सांसद शमी परम्बिल व तीसरा नाम तेलंगाना के मलकाजगिरि के सांसद बीजेपी के ऐतला राजेन्द्र का है।शमी पर 47 औैर ऐतला राजेन्द्र पर 45 केस दर्ज हैं।  महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15 सांसद शामिल हैं। इन पर 376 के तहत दुष्कर्म के मामले दर्ज हैं। एडीआर के प्रदेश कोआरडीनेटर अनिल शर्मा कहते हैं कि राजनीतिक शुचिता की बात हर दल करता है, लेकिन अपराधियोें, धनबलियों और माफियाओं को उदारता के साथ अपने साथ लेने का काम तेजी से करता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि एडीआर की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के कारण पत्रकार अरूण शौरी और विश्वनाथ प्रताप सिंह ने वोफोर्स घोटाले को उठाया और उसे जन जन तक ले गये। इसमें राजीव गांधी की सरकार चली गई, अमिताभ बच्चन जैसे लोगों की राजनीति खत्म हो गई।

लेकिन एडीआर की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी इलेक्ट्रोरल बांड का मुद्दा राष्ट्रव्यापी नहीं बन पाया। इसका साफ कारण राजनैतिक पार्टियों का आपसी गठजोड़ हैं। पैसा लेने के मामले में सभी राजनैतिक पार्टियां आगे रहीं। भाजपा ने बिना यह जाने की यह पैसा कौन दे रहा है, कैसे दे रहा है, वह पैसा कहां से कमा रहा है, हजारों करोड़ लिया, कांग्रंेस, डीएमके, तृणमूल जैसी कोई भी पार्टी दूध की दुली नही दिखाई दीं। अब ऐसे में किस पार्टी से राजनैतिक शुचिता की बात की जाए। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि कोई भी पार्टी किसी अच्छे समाजसेवक, अच्छे पत्रकार, गरीब आदमी को टिकट नही देती, अब तो पार्टिेंयो में इस बात की होड़ लगी है, कि कौन कितने बड़े माफिया, धनपशु और अपराधी को अपने पाले में खींच कर ले आएं। उन्होंने कहा कि कल के दिन अगर संसद में मारपीट व लडाई झगड़ा हो तो किसी को चौंकना नही चाहिये, क्योंकि जब इतनी संख्या में अपराधी जीतकर जाएंगे और चुनाव में करोडों रूपये खर्च होंगे तो वह व्यक्ति ईमानदारी के साथ काम कैसे कर सकता हैं।

रिपोर्ट- संदीप रिछारिया

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