अनूठा क्वॉरंटीन : घर के पास फिर भी कोरोना के कारण अपनों से दूर

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स्कूल में रहकर स्वयं सेवा के साथ कर रहे क्वॉरंटीन

राकेश कुमार अग्रवाल की विशेष रिपोर्ट

कुलपहाड़ (महोबा)। लॉकडाउन के कारण रोजी रोटी छिनी तो सैकड़ों किलोमीटर का सफर कभी पैदल तू कभी जुगाड़ के वाहनों से तय कर किसी तरह घर पहुंचे तो भी घर की चौखट तक नहीं गए। जाने अनजाने घर का कोई व्यक्ति कोरोना वायरस की चपेट में न आ जाए इसलिए स्वप्रेरणा से गांव के बाहर प्राथमिक विद्यालय में 14 दिन के लिए क्वारंटाइन हो गए।

कुलपहाड़ ग्रामीण के अंतर्गत रेलवेस्टेशन के निकट छोटे से मजरे के 7 युवक गुजरात के निकट केन्द्र शासित दादरा नगर हवेली में रिलायंस टेक्सटाइल मिल में काम कर रोजी रोटी चला रहे थे। अभय सिंह के अनुसार वह 2003 में गांव से भागकर दादर नगर हवेली चला गया था। दादर नगर हवेली ग्रीन जोन होने के बावजूद फैक्ट्री बन्द हो गई थी। अभयसिंह, लोकेंद्र, देवेंद्र, जीतेंद्र, हेमंत, अजय, जीतेंद्र सिंह ने बताया कंपनी ग्रीन जोन होने पर 30 प्रतिशत लोगों से काम ले रही है।

जय सिंह व अन्य सभी साथी रेलवे स्टेशन के पास बने प्राथमिक विद्यालय में ठहरे हैं। सभी लोग यहीं पर १४ दिन रहकर क्वारंटीन कर रहे हैं। जबकि प्राथमिक विद्यालय से सभी के घर महज दो किलोमीटर दूर हैं। घर जाने के बजाए सभी ने क्वारंटीन करने का फैसला किया। भोजन के लिए गैस सिलेंडर, राशन सामग्री व बर्तन घर के परिजनों ने इन्हें उपलब्ध करा दिए हैं। ये लोग खुद ही भोजन बनाते हैं। अपने बर्तन धुलते हैं। धुलने के बाद बर्तन पूरे दिन धूप में रखते है ताकि वायरस का प्रभाव न रहे। देवेंद्र, जीतेन्द्र, हेंमत, लोकेंद्र, अजय व अभय सिंह बताते हैं कि उन्होंने पहले विद्यालय में गंदगी को साफ किया। गर्मियों मे रात को बाहर सोने की आदत रही है दिन में गांव में पेड़ के नीचे रहने की सदियों पुरानी परम्परा है। ऐसे में स्कूल में उन्हें कुछ अटपटा भी नहीं लग रहा है। स्कूल भी अब बेहतर हो गया है। अजय के अनुसार सभी लोग घर परिवार से इसलिए दूर हैं ताकि अगर किसी को संक्रमण हो तो उसके कारण घर का कोई अन्य व्यक्ति भी संक्रमण की चपेट में न आ जाए।

देवेन्द्र सिंह

“सिंचाई सुविधा होती तो क्यों छोडकर जाते गांव”

हेमंत सिंह व देवेंद्र सिंह कहते हैं कि हम लोग 3 भाई -बहन हैं। कुल 8 बीघा जमीन है। सिंचाई का साधन न होने के कारण खेती में कोई आमदनी नहीं है। अगर पानी मिल जाए तो उसी जमीन पर पैदावार बढ़ाएंगे अब हमारी माटी ही ऐसे संकट में हमारा सहारा बनेगी।


जीतेन्द्र खुडे

“अगर पानी मिल जाए तो पलायन की नौबत न आए”

जितेंद्र सिंह कहते हैं कि हमारी तहसील में खेती के लिए पानी सबसे बड़ा संकट है। अगर सरकार हम लोगों को पानी उपलब्ध करा दे तो बुंदेलखंड के किसानों और मजदूरों को बाहर जाने की नौबत ही न आए।


लोकेंद्र

“अब गांव में रहेंगे, अपनी जमीन पर खेती करेंगे”

लोकेंद्र सिंह कहते हैं कि बहुत हौसले से परदेस पैसा कमाने गए थे। अब अपनी ही जमीन से परिवार का पेट पाल लेंगे। जैसे होंगी वैसे खेती करेंगे। और गांव में ही रहेगें।


अभय सिंह

“अगर यहीं काम मिल जाए तो क्यों जाएं बाहर “

अभय सिंह यादव कहते हैं कि हम लोग 6 भाई हैं, 4 बीघा जमीन है। आय का दूसरा जरिया न होने के कारण मजबूरी में दूसरे प्रदेश में जाकर कार्य करना पड़ता है । अगर हम लोगों के मुताबिक कार्य यहीं मिल जाए तो बाहर जाने की नौबत ही नहीं आए।


अजय सिंह

” चार बीघा जमीन, तीन भाई”

अजय सिंह के मुताबिक उनके पास 4 बीघा जमीन है, और वे तीन भाई हैं। खेती से परिवार का गुजारा नहीं चल सकता। जदूरी जैसा हम लोग काम नहीं कर सकते। मजबूरी में दूसरे प्रदेश कार्य करने जाना पड रहा है।


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