जज़्बे को सलाम: कोरोना वॉरियर बनी एसिड अटैक सर्वाइवर, ज़रूरतमंदों को रोजाना बांट रहीं खाने के पैकेट

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  • अब रेलवे स्टेशन बस अड्डों पर विगत तीन दिनों से प्रवासियों को भोजन के पैकेट का वितरण कर राहत पहुंचा रही हैं…
  • अब तक यह लोग 10 हजार से अधिक पैकेट स्थानीय पुलिस, सरकारी संगठनों आदि के सहयोग से लोगों तक पहुंचा चुकी हैं
  • इन महिलाओं को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से भी सराहना मिल चुकी है

रिपोर्ट – राजकुमार गुप्ता, वाराणसी

वाराणसी: जिनका काम ही है दीन दुखियों की सेवा करना, वो भला कोरोना जैसी महामारी में लोगों की मदद को भला कैसे रोक सकते हैं। उन्होंने भी बेसहारों की मदद का संकल्प लिया है।बता दें कि वाराणसी में अरसे से तेजाब पीड़ितों के स्वामित्व में देश का पहला कैफे “द ऑरेंज कैफे” ने कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन में बिना रुके बिना थके भूखों की लगातार मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। कोरोनावायरस की मार झेल रहे देश में लगातार कई दिनों से लॉकडाउन जारी है। ऐसे में लॉकडाउन के चलते सभी कारोबार खासा प्रभावित हो रहे हैं, जिसके कारण सभी लोग शटर डाउन करने के लिए मजबूर है। लेकिन इस बीच वाराणसी में कुछ महिलाएं ऐसी भी है, जिन्होंने इस मुश्किल दौर में जरूरतमंदों की मदद करने का फैसला किया। वाराणसी के ऑरेंज कैफे एंड रेस्तरां की स्थापना करने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर यह महिलाएं आज कोरोना वॉरियर बनकर अपना फर्ज निभा रही हैं।

10 हजार से अधिक पैकेट कर चुकीं वितरित

देश में शुरू हुए लॉकडाउन के 1 सप्ताह से भी कम समय में ही इन महिलाओं ने प्रवासी मजदूरों, रिक्शा चालकों, एकल महिलाओं, वृद्धों, बेघरों, दैनिक यात्रियों और शहर में अलग-थलग पड़े लोगों के लिए भोजन पैकेट बनाकर वितरित करने का काम शुरू कर दिया था। यह महिलाएं पराठा- सब्जी, पूरी- सब्जी या दाल चावल से भरे 200 पैकेट रोजाना वितरित कर रही हैं। अब तक यह लोग 10 हजार से अधिक पैकेट स्थानीय पुलिस, सरकारी संगठनों आदि के सहयोग से लोगों तक पहुंचा चुकी हैं।

मिल रही प्रशंसा

इनमें से एक महिला बदामा देवी बताती है कि एसिड हमलों के बाद हमने जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना किया है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण घड़ी में समाज के कमजोर वर्गों के लिए कुछ कर खुश और संतुष्ट हूं। यह पहल पूरे वाराणसी के 14 स्थानों में जारी है। अपने इस काम के लिए इन महिलाओं को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से भी सराहना मिल चुकी है। यहां तक कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के नमामि गंगे कार्यक्रम में भी इनकी इस पहल की फेसबुक पेज पर सराहना की है।

14 फरवरी को की कैफे की शुरूआत

एसिड अटैक सर्वाइवर बदामा देवी, संगीता कुमारी, शन्नो सोनकर, विमला देवी और सोमवती ने इस साल 14 फरवरी को इस कैफे की शुरूआत की। इस कैफे की परिकल्पना 18 महीने पहले की गई थी। जीवन में आई बाधाओं को दूर करने और समाज में अपना सही स्थान बनाने का दृढ़ संकल्प लेने वाली यह महिलाएं आज अपने काम से ना केवल सराहना पा रही हैं, बल्कि लोगों के लिए मिसाल भी पेश कर रही हैं।

इस संबंध में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख अजय पटेल ने बताया कि देश के सामने आज एक बहुत ही विकट स्थिति है लॉक डाउन के कारण आम व्यक्तियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है विशेषकर गरीब तबके को। ऐसे में ऑरेंज कैफे इस विकट परिस्थिति में अपनी भूमिका के निर्वहन के लिए पूरी तरह से तैयार है। विगत 30 मार्च से कैफे में प्रतिदिन 200 से 250 पैकेट भोजन जरूरतमंदों को बांट रहा है। संस्था के इस पुनीत कार्य में एक्सन एड, टुडे फाउंडेशन, आशा ट्रस्ट, एसडीएम सदर महेंद्र कुमार श्रीवास्तव, भेलूपुर थाना अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह तथा प्रकाश सिंह चौकी इंचार्ज दुर्गाकुंड का उल्लेखनीय सहयोग रहा। एक्शन एड के सहयोग से इस टीम में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख अजय पटेल के साथ शिवांशु श्रीवास्तव, अभिषेक, विशाल, ग्राम्या संस्थान के सह निदेशक सुरेंद्र यादव सहित सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता आदि लोग है।

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