वो करें तो लीला… हम करें तो करेक्टर ढीला

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-परिकल्पना ए स्वर्गलोक

संदीप रिछारिया (वरिष्ठ संपादक)

एक कहावत को इन्वर्सल ट्रुथ में तब्दील कर दिया गया और कहावत है कि अगर बुरे कर्म किए तो नर्क में जाओगे और बुरा काम करने का आशय वह काम जिनकी समाज मे वैधानिकता नहीं, लेकिन जब वही काम समाज मे वैधानिकता के रूप में आदिकाल से विद्यमान हो तो सत्य क्या और झूठ क्या?

मामला चित्रकूट के भरतकूप क्षेत्र में एक निजी चैनल के द्वारा खोजे गए ताजा नरकलोक का है। नरकलोक इसलिए क्योकि यहां पर खदान मालिक व उनके गुर्गो पर नाबालिग लड़कियों को पैसा देकर हवस मिटाने का आरोप है। इस सम्बंध में कुछ तथ्य विचारणीय है।

हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,ईसाई के साथ लगभग सभी धर्मो में स्वर्ग व नरक की अवधारणा के साथ स्वर्ग में अप्सराओं,जन्नत में हूरो के मिलने की कहानी बताई जाती है,वास्तव में ये अप्सराएं कौन है,क्या ये आचार्य चाणक्य द्वारा दुश्मन राजाओं के भेद लाने और मारने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली विष कन्याएं है। उर्वशी,रम्भा, शम्भा के साथ दर्जनों ऐसी अप्सराओं का जिक्र मिलता है ,जिन्हें राजा इंद्र ने महात्माओं का तप तोड़ने के लिए इस्तेमाल किया गया। इन अप्सराओं ने ऋषियों से सम्बंध बनाये और स्वामी के स्वार्थ की पूर्ति की। लेकिन हमने अपने धर्म शास्त्रों की बातों पर कभी अविश्वास या तर्क रखकर इस पर सवाल खड़े नही किये। अब बात मध्यकाल की करते है,हर राजदरबार में गणिका और देवदासी का उल्लेख मिलता है।आज भी दिल्ली की जीबी रोड, मुंबई का कमाठीपुरा, कोलकाता का सोनागाछी इसका जीता जागता उदाहरण है। वैसे आज के परिवेश में वेश्यावृत्ति को पव के रूप में सरकार ने भी लगभग मान्यता सी दी हुई है।

शहरों में पिछले 25 सालों से मेल सेक्सवर्कर्स का भी चलन तेजी से बढ़ा है। अब बात करते है गाँव की तो यहां पर गरीबी सबसे बड़ी अभिशाप के रूप में सामने आती है। बुन्देलखण्ड का कोई भी इलाका गरीबी के कारण व्यभिचार से अछूता नही है। बालू,पत्थर और लकड़ी के साथ अन्य छोटे मोटे उधोगो में महिलाओं का शोषण आम बात है। इस मामले में पुलिस का प्रशासन का सहयोग भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रहता है। खादी भी अक्सर यहाँ बिस्तरों पर दिखाई देती है।

भरतकूप, बरगढ़, मानिकपुर वो इलाके है, जहाँ आदिवासियों की संख्या भारी मात्रा में है। मानिकपुर क्षेत्र में तो आज भी महिलाएं जंगल से लकड़ी काटकर सिर पर लादकर शहर में लाकर बहुत सस्ते दामों में बेचने के पहले जंगल मे वन कर्मी और पुलिस के साथ स्थानीय दबंगों के शोषण का शिकार बनती है। कईं बार इनकी खबरें अखबारों की सुर्खियां बनकर नक्कारखाने की तूती साबित होती है। अगर सही मायने में देखा जाए तो बुन्देलखण्ड की हर न्याय पंचायत महिला शोषण के मामले में नरकलोक ही साबित होगी।

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