वाराणसी: मिर्जामुराद 9 अगस्त 2020, विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर रविवार को मेहंदीगंज में मनाया गया, वक्ताओ ने कहा कि जल, जंगल व जमीन आदिवासियों की पहचान है। उनकी इस पहचान व संस्कृति के साथ खिलवाड़ की कोशिश की जा रही है। इसे आदिवासी मूलनिवासी समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। आगे कहा कि हालिया दिनों में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर तेजी से हमला बढ़ा है। जिससे आदिवासियों के विस्थापन के अलावा जल, जंगल व जमीन पर अधिकार को सरकार द्वारा चुनौती दी जा रही है। इसके खिलाफ आदिवासियों को एकजुट होने की जरूरत है।
सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने कहा कि आदिवासियों की वास्तविक स्थिति क्या है। क्या उनके जल, जंगल व जमीन की रक्षा हो रही है। इसका उत्तर है शायद नहीं। संचालन करते सुरेश राठौड़ ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासियों ने आवाज उठाए थे मगर उनकी सोच को वर्तमान समय तक बल नहीं मिल पाया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विजय प्रताप भारती ने आदिवासियों की पहचान जल, जंगल, जमीन तथा आदिवासी संस्कृति की रक्षा के लिए समाज की एकजुटता की बात कही। इस दौरान लोगों को प्रर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया। बाबू अली साबरी ने कहा कि जल, जंगल व जमीन आदिवासियों की पहचान है। इसके दोहन से उनकी संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे बचाने के लिए किया गया प्रयास कागजों में सिमट कर रह जा रहा है। वनों का संरक्षण न सिर्फ आदिवासी समाज के लिए अपितु पूरे विश्व के लिए आवश्यक है। विश्व आदिवासी दिवस पर सभी संकल्प लें कि इसकी क्षति नहीं होने दी जाएगी। इस दौरान योगीराज सिंह पटेल, विजय भारती, राज कुमार गुप्ता, सुरेश राठौर, बाबू अली शास्त्री, जैश लाल वर्मा, प्रभु नारायण पटेल, सेवालाल पटेल, गणेश शर्मा, मंटू पटेल, रविंद्र पटेल, अजय, डब्ल्यू राठौर आदि लोग उपस्थित रहे।
द्वारा
राजकुमार गुप्ता
वाराणसी