एक तरफ उजड़ने का डर दूसरी तरफ विकास का सवाल

9
  • एक सैकडा दुकानदार और दो सैकडा परिवारों पर संकट के बादल

  • जिन्होंने संवारा अपने कारोबार व आशियाने को अब वो ही उजाड रहे

राकेश कुमार अग्रवाल

कुलपहाड ( महोबा ) । राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण शुरु होने से राठ – महोबा मार्ग पर बसे दो सैकडा से अधिक परिवारों के समक्ष विस्थापन का संकट खडा हो गया है जबकि एक सैकडा से अधिक दुकानों के अवैध कब्जों में शुमार होने के कारण उनकी रोजी रोटी खतरे में पड गई है।

कई दशकों से सजाए व संवारे आशियानों एवं सिफर से शिखर तक पहुंचाये गए कारोबार को प्रशासन से मिले दो दिन के अल्टीमेटम के बाद अब लोग खुद उजाडने में जुट गए हैं. राठ – महोबा मार्ग पर ज्यादातर दुकानदार खाना – पीना से जुडी मिठाई – चाट – पकौडी , कोल्ड ड्रिंक , आटो पार्टस , मशीनरी , वेल्डिंग , किराना , शराब , निजी क्लिनिक , गल्ला आढती , सीमेंट सरिया समेत दर्जनों मिस्त्रियों की छोटी बडी दुकानें हैं। तमाम छोटे दुकानदार रोजाना कमाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। अब उनके समक्ष यह संकट खडा हो गया है कि वे जाएँ तो जाएँ कहां . कहां नए सिरे से अपना कारोबार शुरु करें। क्योंकि नगर के बाजार में खाली दुकानें नहीं हैं। ताकि वो किराए से दुकान लेकर वहां शिफ्ट कर जाएँ। पचासों वर्षों से बसे लोगों ने दूसरा नया घर भी नहीं बनाया। न ही उव्होंने सोचा था कि उन्हें प्राइम लोकेशन की जगह से कभी विस्थापित भी होना पडेगा। उपजिलाधिकारी ने ऐसे गरीब परिवारों को जिनका रहने को कोई आशियाना नहीं है उनको काशीराम कालोनी में अस्थाई रूप से बसाने का आश्वासन दिया है।

फिलहाल लोग स्वयं ही अपने घरों व दुकानों का सामान निकालकर तोडना शुरु कर दिया है। बारिश के मौसम ने भी इन लोगों को हलाकान कर रखा है।

Click