उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षकों की विभिन्न मांगों को लेकर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा

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रिपोर्ट – अनुज मौर्य /मनीष श्रीवास्तव

रायबरेली (उत्तर प्रदेश)। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि विश्वव्यापी कोरोना वायरस की स्थिति में भी निजी शिक्षण संस्थाओं, वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों , मदरसों, संस्कृत, बेसिक स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में वित्तविहीन शिक्षक व कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। शिक्षकों एवं कर्मचारियों की ओर से ध्यान आकर्षित कराते हुए मांग की गई है कि इन वित्तविहीन शिक्षकों के समक्ष उपस्थित इस संकट की घडी में प्रवासी श्रमिकों की तरह आर्थिक एवं अन्य सुविधाओं की तरह प्रदेश सरकार राहत देने की कृपा करे। इसप्रकार का निवेदन कई पत्रों के माध्यम से व माननीय विधान सभा / विधान परिषद सदस्यों के माध्यम से तथा दिनांक 21/07 /2020 को प्रत्येक जनपद के मुख्यालय पर प्रतिनिधि मंडल द्वारा ज्ञापन देकर मुख्यमंत्री जी से निवेदन भी किया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया था कि लॉकडाउन तथा अनलॉक की स्थिति में शिक्षण संस्थानों के बंद रहने व शुल्क न प्राप्त होने से शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन द्वारा शिक्षकों एवं कर्मचारियों को अप्रैल से कोई पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है । सरकार केवल आदेश दे रही है कि इनको दिया जाने वाला पारिश्रमिक प्रबंध तंत्र दे । किन्तु प्रबंधन कह रहा है कि शिक्षण शुल्क नहीं मिल रहा है । इसलिए हम इन्हे कोई भुगतान नही कर पायेंगें। इस वजह से इन संस्थानों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों का परिवार भुखमरी की स्थिति में जी रहा है ।

इस प्रकार शिक्षक संघ ने ज्ञापन के माध्यम से दैनिक एवं मासिक पारिश्रमिक भोगी निजी कर्मचारियों की तरह ही इन शिक्षकों को भी आर्थिक सहायता राहत प्रदान करने की मांग की है।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष राम मोहन सिंह एवं जिला अध्यक्ष अशोक कुमार शुक्ला के नेतृत्व में शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें जिला मंत्री सोमेश सिंह, कोषाध्यक्ष आशुतोष मिश्रा, जिला उपाध्यक्ष व मीडिया प्रभारी सुनील दत्त, संगठन मंत्री विजय शंकर शुक्ला, प्रदीप कुमार दीक्षित, अनिल कुमार सरोज, सदस्य राज्य परिषद शत्रुघ्न सिंह परिहार, दिनेश कुमार आदि शिक्षक नेता शामिल रहे , ने नगर मजिस्ट्रेट युवराज सिंह को ज्ञापन सौंपा ।

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