राकेश कुमार अग्रवाल
लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के समापन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विद्यार्थियों को इच्छाशक्ति को प्रबल रखने का संदेश दिया . उन्होंने कहा कि अपने आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को किसी भी परिस्थिति में कमजोर मत होने दीजिए , क्योंकि मन के हारे हार है , मन के जीते जीत .
इलाहाबाद के डा. पंकज गुप्ता हों या फर्रुखाबाद की डा. रजनी दोनों में कई समानतायें हैं . दोनों पेशे से चिकित्सक हैं . दोनों डाक्टर ब्लड कैंसर से पीडित हैं . दोनों चिकित्सकों का उपचार अमेरिका में चल रहा है . अमेरिका से ट्रीटमेंट कराकर वापस आने पर दोनों अपने अपने मरीजों के उपचार में लग जाते हैं .
डा. पंकज हों या डा. रजनी दोनों जानलेवा बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद पूरी तल्लीनता से अपने मरीजों का उपचार करते हैं . मानव जीवन दरअसल धूपछाँव से भरा है . दुख दिक्कत , तकलीफें किसके जीवन में नहीं हैं . कुछ लोग इनसे तंग आकर या तो जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं या फिर इसके लिए ऊपर वाले को दोषी ठहराते हुए अपनी किस्मत को कोसने लगते हैं .
आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर के निक वुजुसिक की कहानी उनकी प्रबल इच्छाशक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है . निक के जन्म से हाथ और पैर नहीं हैं . मेडीकल साइंस के अनुसार इस दुर्लभ बीमारी का नाम टेट्रा अमेलिया है . निक के पास एक छोटा सा पैर है जिसके सहारे वे चलते हैं . जब निक दस वर्ष का था तब उसने अपनी जिंदगी और लोगों के उपहास से तंग आकर खुद को बाथटब में डुबोकर मारने की कोशिश भी की थी . आत्महत्या में असफल हुए निक ने यह समझ लिया था कि जिंदगी को अभी उसकी मौत मंजूर नहीं है . ऐसे में तिल तिलकर , घुट घुटकर, मर मरकर रोजाना जीवन जीने के बजाए निक ने अपने को परिस्थितियों के मुताबिक ढाला . उसने रोने के बजाए जीना सीख लिया . बिना हाथ पैरों वाला निक तैरना , सर्फिंग , कार चलाना ,ड्रम बजाना , फिशिंग , पेंटिंग , स्काई डाइविंग के अलावा निक गोल्फ और फुटबाॅल खेल लेता है . निक मोटीवेशनल स्पीकर है . पूरी दुनिया उसे उसके प्रेरक वक्तव्यों से जानती है . जिस जगह वे स्पीच देने जाते हैं वहां का हाॅल उन्हें सुनने वालों से खचाखच भर जाता है . वे ” लाइफ विदाउट लिम्ब्स ” संस्था के अध्यक्ष हैं . 21 साल की उम्र में निक ने एकाउंटिंग एवं फाइनेंस में डिगरी हासिल की . 2007 में निक ने ” एटीट्यूड इज एटीट्यूड ” नाम से एक मोटीवेशनल स्पीकिंग कंपनी बनाई . 2012 में निक ने मियाहाया से शादी कर ली. दो कंपनियों के मालिक निक लाख टके की बात कहते हैं कि ” अगर तुमने चमत्कार नहीं देखे तो खुद एक चमत्कार बन जाओ . ” निक के द्वारा लिखी गई आधा दर्जन से अधिक किताबें बाजार में आ चुकी हैं . वे अपनी इच्छाशक्ति के बल पर हजारों हताश निराश लोगों को जीवन मंत्र दे रहे हैं . कि " टूटने लगें हौसले तो ये याद रखना
बिना मेहनत के तख्तो ताज नहीं मिलते
ढूंढ लेते हैं अँधेरों में मंजिल अपनी
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज
नहीं होते . “
ज्यादातर आईएएस अधिकारी जहां मंत्रियों व सरकारों को साधने में लगे रहते हैं वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारी सुहास एल वाई फुरसत के क्षणों में रैकेट – शटल को साधने में लग जाते हैं. सुहास एल वाई शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं एवं उन्होंने 2016 में बीजिंग में आयोजित एशियन पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप के फाईनल मुकाबले में इंडोनेशिया के हैरी सुसान्तो को पराजित कर खिताब जीता था . पुरुष वर्ग सिंगल्स में उनकी दुनिया में चौथी रैंक है . सुहास के खेल कौशल को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें 2016 के यश भारती पुरस्कार के अलावा बेस्ट पैरा स्पोर्ट्स पर्सन एवं राष्ट्रीय खेल दिवस पर 2017 के मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें बीस लाख रुपए नकद व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया . सुहास एल वाई की प्रबल इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि आईएएस बनने के बाद भी थके नहीं , रुके नहीं , थमे नहीं बल्कि वे नित नई ऊँचाईयों को नाप रहे हैं . तभी तो ऐसे ही लोगों के लिए कहा गया है कि
” जो मुस्करा रहा है , उसे दर्द ने पाला होगा
जो चल रहा है उसके पांव में जरूर छाला होगा
बिना संघर्ष के चमक नहीं मिलती
जो जल रहा है तिल तिल , उसी दीप में उजाला होगा . “
ज्यादातर संघर्ष इंसान के दिमाग में चलता है , इंसान के दिल में चलता है तभी तो कहा गया है कि ‘ मन के हारे हार है , मन के जीते जीत ‘ अर्थात
” मान लो तो हार होगी
और ठान लो तो जीत होगी . “