खनन विभाग… पुलिस एवं प्रशासन की चुप्पी के कारण खनन माफिया के हौसले बुलंद, गंगा किनारे बदस्तूर खनन जारी

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वाराणासी: चौबेपुर (23/12/2020)
गंगा गोमती संगम के निकट पर्यटन स्थल कैथी के समीपवर्ती गाँव भंदहां कला की सीमा एक तरफ गंगा नदी से लगी हुयी है तो दूसरी तरफ गोमती नदी से, इन नदियों के समानांतर वाराणसी गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग है जिससे इन नदियों की अधिकतम दूरी 200 से 300 मीटर है. नदियों और राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच का इलाका जिसे माननीय सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के अनुसार देखें तो कटान से प्रभावित क्षेत्र की श्रेणी में आता है, जिसमे किसी भी प्रकार का मशीन द्वारा खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है. लेकिन खनन विभाग, स्थानीय पुलिस और खनन माफिया के मजबूत गठजोड़ के चलते विगत दो तीन वर्षों से रुक रुक कर खनन जारी है, स्थिति यह है कि मिट्टी खनन के आदर्शं मानक 4 फीट को कही काफी पीछे छोड़ते हुए इस इलाके में कही कहीं 20 से 25 फीट तक गहराई में मिट्टी निकाल ली गयी है. गंगा नदी की धारा से महज 10- 15 की दूरी पर गहरी खुदाई बदस्तूर जारी है जो मुख्य सडक पर से ही देखी जा सकती है. विडम्बना यह है कि निकट के गाँव कैथी में आयेदिन पर्यटन, नमामि गंगे, वन विभाग आदि विभागों सहित जिले के आला अधिकारियों का आवागमन होता रहता है लेकिन इस अवैध खनन पर किसी की दृष्टि नही पड़ रही है. कभी कभार क्षेत्रीय लोगों द्वारा शिकायत करने पर दो चार दिन का प्रतिबन्ध दीखता है लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात वाली बात चरितार्थ हो जाती है.

चन्द्रावती, ढाखा, भंदहा कला और कैथी गाँव गंगा की भविष्य में होने कटान के संकट से ग्रसित हैं, इस क्षेत्र में पश्चिम वाहिनी गंगा वापस जब अपनी मूल धारा की तरफ मुडती हैं तो किनारे पर कटान होता है और इसके विपरीत दूरी तरफ चंदौली जिले में बालू जमा होता है, इसके बावजूद हजारों की आबादी को संकट में डालते इस अवैध खनन के प्रति जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी एक भयानक साजिश की और इशारा करती है कि इस खेल में नीचे से ऊपर तक बड़े और रसूखदार लोग शामिल हैं. यदि कोई शिकायतकर्ता ऊपर शिकायत करे भी तो उस पर तमाम तरीके से दबाव बनाये जाए हैं इसलिए प्रायः कोई सामने नही आना चाहता और खननमाफिया अपने मिशन में सफल है और निजी प्रयोग के नाम पर मिट्टी की गहरी खुदाई का खेल रात दिन जारी है

कुछ वर्ष पहले तक इस क्षेत्र में राष्ट्रीय पक्षी मोर बहुलता से पाए जाते थे लेकिन रात भर बड़ी मशीनों से होने वाले खनन से मोरों ने भी स्थान प्रायः छोड़ दिया है, इस प्रकार इस अवैध खनन की गतिविधि से यहाँ की जैव विविधता को भी बुरी तरह प्रभाव पड़ा है. इन सबके बावजूद जिले के आला अधिकारियों की इस मामले में रहस्यपूर्ण चुप्पी समझ के परे है.

5100 किलोमीटर की गंगा कंठमाल परिक्रमा पदयात्रा पर निकले अवकाश प्राप्त सेना के अधिकारियों ने भी गंगा किनारे हुए अंधाधुंध खनन पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि वे इस बाबत भारत सरकार के जिम्मेदार लोगों से बात करेंगे.

धन्यवाद
द्वारा
राजकुमार गुप्ता
वाराणासी

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