प्रतापगढ़ गीता जयंती की बहुत-बहुत बधाई 25 दिसंबर दिन शुक्रवार को मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती है
आज से 5158 वर्ष पूर्व रविवार के दिन प्रातः 9:20 पर कपिध्वज रथ पर विराजमान नर के अवतार अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के मैदान में मोह ग्रस्त थे तब नारायण के अवतार भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया और मोह में पड़े अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाया।परमात्मा और संसार का वर्णन श्रीमद्भगवद्गीता में विविध प्रकार से हुआ है।
भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मैं ही परम तत्व हूं मेरे अतिरिक्त इस संसार में कोई दूसरा नहीं है, जो देवताओं की पूजा करता है वह देवताओं को प्राप्त होता है जो पितरों की पूजा करता है वह पितरों को प्राप्त होता है जो प्रेतों की पूजा करता है वह प्रेतत्व को प्राप्त होगा जो मेरी पूजा करेगा वह बैकुंठ लोक को प्राप्त होगा।
श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म की प्राण है। गीता गंगा गायत्री और गाय हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है।सनातन धर्म में गीता सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त अर्जुन के कल्याण के लिए अत्यंत गोपनीय अपना गीता नामक हृदय प्रकट किया तथा उन्होंने मनुष्य जिस किसी परिस्थिति में स्थित रहता है इस गीता के आधार पर अपना कल्याण कर सकता है। वैसे तो 25 गीता हैं किंतु श्रीमद्भगवद्गीता स्वयं में एक दर्पण है। गीता के पाठ करने से अर्थ धर्म काम मोक्ष चारों की प्राप्ति होती है। गीता जयंती पर श्रीमद्भगवद्गीता का पूजन कर उसका पाठ, श्रवण तथा ब्राह्मणों को दान करना चाहिए और सायंकाल माता तुलसी को दीप दान करना चाहिए।
धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिवजी पुरम प्रतापगढ़ अवनीश कुमार मिश्रा प्रतापगढ
गीता जयंती की बहुत-बहुत बधाई
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