राकेश कुमार अग्रवाल
हर राष्ट्र अपने महापुरुषों व राष्ट्रनायकों के योगदान को चिरस्थायी बनाने एवं नई पीढी तक उनके व्यक्तित्व , कृतित्व व योगदान को पहुंचाने के लिए उनके स्मारक , संग्रहालय आदि का निर्माण कराता है . देश की आजादी के ऐसे ही नायक , देश के पहले उप प्रधानमंत्री व गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को आजादी के सात दशक बाद ही सही स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर जो मुकाम दिलाया गया है वह वाकई उस सम्मान को बहुत पहले ही पाने के हकदार थे .
पर्यटन केवल घूमने , फिरने या तफरीह करने के लिए ही नहीं होता इसके भी तमाम अलग अलग कारण होते हैं . कोई एडवेंचर तो कोई धार्मिक , कोई ऐतिहासिक तो कोई प्रकृति के नजारे के लिए पर्यटक स्थलों की सैर को जाता है . 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नर्मदा जिले के केवडिया में जिस स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की आधारशिला रखी थी आज वह स्मारक देश के सबसे भव्य एवं आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में नुमायां हो चुका है .
गुजरात में 1997 में 6 नए जिलों का गठन किया गया था . इन 6 जिलों में नर्मदा जिला भी शामिल है . सतपुडा व विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में बसे इस जिले का मुख्यालय राजपीपला है . यह जिला गुजरात के आदिवासी बाहुल्य जिले में शुमार किया जाता है . विकास की दृष्टि से गुजरात के अन्य जनपदों के मुकाबले यह काफी पिछडा क्षेत्र रहा है . अभी तक यह क्षेत्र देश दुनिया में दुनिया के सबसे विवादास्पद सरदार सरोवर बांध के कारण चर्चित रहा है . लेकिन अब यह पूरा इलाका दुनिया की सबसे ऊँची , विशाल और भव्य सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा के कारण सुर्खियों में है .
मूर्तिकार राम वी. सुतार द्वारा डिजाइन की गई प्रतिमा को मशहूर कंस्ट्रक्शन व इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन ट्रूबो ने चार साल से भी कम समय ( लगभग 46 माह ) में बनाकर तैयार किया है . 182 मीटर ऊँची स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में 70000 मीट्रिक टन सीमेंट , 6000 मीट्रिक टन स्टील , 18500 मीट्रिक टन छडें , 1700 मीट्रिक टन कांस्य सामग्री के अलावा 250 इंजीनियर व 3400 मजदूरों की मेहनत मशक्कत के फलस्वरूप सरदार पटेल की फौलादी प्रतिमा और आसपास के विकास को साकार किया जा सका . गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सरदार सरोवर बांध से महज 3.2 किमी. की दूरी पर है . जिस स्थान पर स्टेच्यू बनाई गई है उसे साधूबेट नदी द्वीप के नाम से जाना जाता है . स्टेच्यू 7 किमी . दूर से ही नजर आने लगती है . जैसे जैसे आपकी बस , कार या ट्रेन आगे बढती है उत्सुकता और जिज्ञासा और भी बढने लगती है . अक्टूबर से फरवरी के मौसम में यदि आप केवडिया जाते हैं तो आप असीम आनंद का अनुभव करेंगे क्योंकि उस समय यहां का मौसम बेहद खुशनुमा होता है . ऐसे में घूमने का मजा कई गुना बढ जाता है .
7 अक्टूूबर 2010 को नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना की घोषणा की थी . सरदार वल्लभ भाई पटेल के 138 वें जन्मोत्सव पर 31 अक्टूबर 2013 को नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था . 3000 करोड की भारी भरकम लागत एवं 927 एकड भूमि के अधिग्रहण के कारण इस प्रोजेक्ट का भी जमकर विरोध हुआ था . परियोजना के लिए पूरे भारत से लोहा जुटाया गया था .
31 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का लोकार्पण किया एवं 3 नवम्बर 2018 को इसे पर्यटकोम के लिए खोल दिया गया .
सरदार पटेल की प्रतिमा में दो भारी भरकम हाईस्पीड लिफ्ट लगी हैं जो एक साथ 2200 किलो तक का भार 400 फीट की ऊँचाई पर सहजता से ले जाती हैं . यहां पर बना सरदाल पटेल म्यूजियम , ऑडियो वीडियो विजुअल गैलरी , प्रदर्शनी हाॅल को बहुत ही भव्य व आकर्षक अंदाज में डिजाइन किया गया है . प्रतिमा के सीने तक पर्यटक लिफ्ट की मदद से जा सकते हैं . जहां बने झरोखों से आप पार्श्व में बहती नर्मदा नदी का विहंगम दृश्य देख सकते हैं .
केवडिया में पर्यटक केवल पटेल प्रतिमा देखकर वापस न लौट जाएं . वे वहां पर कम से कम एक रात रुकें इसके लिए लगभग एक दर्जन प्रोजेक्ट भी तैयार किए गए . जिनमें कई किमी. क्षेत्र में फैली फूलों की घाटी , एकता नर्सरी , कैक्टस गार्डन , जंगल सफारी , सेल्फी पाइंट , जूलोजिकल पार्क वाॅल ऑफ यूनिटी व सरदार सरोवर बांध शामिल है . शाम को सात बजे बीस मिनट का लेजर शो होता है . यह शो सरदार पटेल के स्टेच्यू पर होता है लाईट एंड साउंड वाले इस शो को देखने के लिए ऑब्जरवेशन डेक का निर्माण किया गया है जिसे वहां से देखना का अनुभव सबसे जुदा होता है . रात में यदि आपने केवडिया की प्रकाश व्यवस्था व जगमग करते केवडिया का अवलोकन नहीं किया तो आपकी केवडिया यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी . इसलिए केवडिया में कई होटल बनकर चालू हो चुके हैं एवं अन्य का निर्माण कार्य जोर शोर से चल रहा है . पर्यटकों को विशिष्ट हास्पिलिटी दिलाने के लिए टैंट सिटी का निर्माण किया गया है . जहां पर रुककर अनूठा अनुभव लेकर जाया जा सकता है . इसके अलावा 14 किमी. दूर जरवानी वाटरफाल, साबरमती रिवर फ्रंट से लेकर केवडिया के निकट पंचमुली लेक तक सी प्लेन सेवा , खलवानी में रिवर राफ्टिंग व करीब में ही गांधीनगर के अक्षरधाम की तर्ज पर पोइचा में बना नीलकंठ स्वामीनारायन मंदिर जैसे तमाम आकर्षण के केन्द्र हैं . एक साथ केवडिया स्टेशन के लिए देश के विभिन्न शहरों से 8 ट्रेनें चलाकर यहां तक आवागमन की सौगात रेलवे पहले ही दे चुका है .
आजाद भारत में आजादी के नायक के योगदान को नई पीढी तक पहुंचाने का मोदी का यह प्रयोग काबिलेतारीफ है . केवडिया देशभक्ति , इतिहास , प्राकृतिक सुषमा , फोटोग्राफी , एडवेंचर व मौजमस्ती के लिए अनूठा पैकेज है . जो अहमदाबाद से 200 व बडौदा से महज 90 किमी. की दूरी पर है . लौहपुरुष को जो फैलादी सलाम सरकार ने दिया है वे वाकई उसके हकदार हैं .