रिपोर्ट – दीपक ‘राही’
क्रासर – वैश्विक महामारी कोरोना काल में डोर टू डोर सर्वे करने वाले अध्यापकों का वेतन रोकने की धमकी का आरोप
रायबरेली – जिले में शिक्षा विभाग के मुखिया के नित नए-नए कारनामे सामने आ रहे हैं । वर्तमान बेसिक शिक्षा अधिकारी के जनपद में आने के बाद से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की कौन कहे जिम्मेदार जनहित की योजनाओं में खर्च करने को आये सरकारी धन का बंदरबांट किये जाने में मशगूल हैं । बताते चलें कि कोरोना काल के दौरान बीएसए कार्यालय के कोविड-19 सर्वे पत्रांक संख्या 626-28 दिनांक 21 अगस्त 2020 के आदेश के क्रम में नगरीय क्षेत्र में 30 शिक्षकों की ड्यूटी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के साथ लगाई गई । स्थिति सामान्य होने के बाद कार्यालय से 28 जनवरी 2021 को बीईओ को संदर्भित पत्र में सभी शिक्षकों को मूल तैनाती वाले विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण किये जाने का निर्देश दिया गया । डीएम को संबोधित शिकायती पत्र एडीएम को देते हुए सभी शिक्षको ने आरोप लगाया कि लेकिन बीते 20 मार्च को बीएसए आनन्द शर्मा द्वारा सभी शिक्षकों को कार्यालय बुलाकर उक्त अवधि में प्रतिदिन किये गए कार्य का पूर्ण विवरण, समय और तारीख सहित साक्क्ष उपलब्ध कराने का तुगलकी फरमान दिए जाने से अचंभित हो गए । तीन दिवस की अवधि में नही उपलब्ध कराये जाने की दशा में वेतन रोकने के आदेश से सभी के होश उड़ गए । उल्लेखनीय है कि सभी शिक्षकों द्वारा कोरोना कॉल के दौरान सर्वे की डिटेल स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध कराया जा चुका है । इसलिए असमर्थता जताते हुए सभी शिक्षकों ने बीएसए द्वारा मांगी जा रही जानकारी को स्वास्थ्य विभाग से मांगे जाने की मांग की है । हास्यास्पद है कि इस तरह के फरमान कहीं न कहीं शिक्षकों के मानसिक और आर्थिक शोषण की ओर इशारा करता है साथ ही योगी सरकार की निष्पक्षता को कटघरे में खड़ी करती है । त््बब देखना दिलचस्प है कि कोरोना योद्धाओं के प्रकरण में डीएम क्या कदम उठाते हैं ।