जय श्रीमन्नारायण

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रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा
पुष्टि मार्ग के प्रणेता भगवान श्री नाथ जी के परम भक्त परम श्री वैष्णव परम पूज्य स्वामी वल्लभाचार्य जी की 542 वीं जयंती पर बहुत-बहुत बधाई एवं मंगल कामनाएं।
आप का प्रादुर्भाव विक्रम संवत् 1535 वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी को दक्षिण भारत के कांकरवाड ग्रामवासी तैलंग ब्राम्हण श्री लक्ष्मण भट्ट जी की धर्मपत्नी इलम्मागारू के गर्भ से हुआ था। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर के निकट चपांरणय में है।
आपको वैश्वानरावतार अर्थात अग्नि का अवतार माना गया है। कहा जाता है कि अष्टमास में आपका जन्म हुआ और आपकी मां मृत समझकर छोड़ कर चली आई उन्हें स्वप्न हुआ कि जिस बालक को आप छोड़ कर आई हैं। वह जीवित है तुम्हारे गर्भ से स्वयं भगवान श्री नाथ ने जन्म लिया है आप जिंदा हैं, और जब आपके माता पिता वहां गए तो आप हंस रहे थे और अंगूठे को चूस रहे थे। आप के चारों ओर अग्नि जल रही थी।
भगवान श्री कृष्ण ने आपको साक्षात दर्शन दिया था आप द्वारा श्री बल्लभ संप्रदाय का प्रादुर्भाव हुआ जो श्री वैष्णवों का एक अंग है। भक्त कालीन सगुण धारा की कृष्ण भक्ति शाखा के आधार स्तंभ के रूप में आप जाने जाते हैं

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