लोकभारती की मुहिम को मिला आयाम, भविष्य में चित्रकूट बन सकता है केंद्र शासित प्रदेश

10
संघ प्रमुख का सम्मान करते अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि महराज व आचार्य रामचंद्रदास
  • बुंदेलखंड की राजधानी व केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के प्रस्ताव पर संघ प्रमुख ने लगायी मोहर
  • 84 कोस परिक्षेत्र में बिखरी है अमूल्य पौराणिक, पुरातात्विक व ऐतिहासिक धरोहरें
  • हर साल चित्रकूटधाम के 84 कोस परिक्षेत्र की परिक्रमा करते हैं साधू संत

संदीप रिछारिया

धर्मक्षेत्र। श्रीराम के तप की नगरी को जल्द ही एक बड़ा तोहफा मिल सकता है। संघ प्रमुख डाक्टर मोहन भागवत ने कहा कि चित्रकूट धाम दो राज्यों के सीमा विवाद के कारण विकास से वंचित है। भगवान राम ने यहां पर साढे ग्यारह साल बिताए। इस अदभुत तीर्थ को प्रदेश की सीमाओं की बाउंड्री से मुक्त होना चाहिए। चित्रकूटधाम को यूपी और एमपी की सीमाओं से मुक्त कर केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि चित्रकूट में अनोखे तीर्थ व पर्यटन केद्र हैं। इनका विकास समय की मांग है। वैसे उन्होंने बुंदेलखंड राज्य बनाए जाने के लिए चित्रकूट को उसकी राजधानी होने की शर्त पर कहा।

मालूम हो कि पिछले पांच दिनों से धर्मनगरी के आरोग्यधाम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रान्त प्रचारक बैठक चल रही है। संघ प्रमुख बैठक शुरू होने के दो दिन पूर्व ही चित्रकूट आ गए थे। इस दौरान उन्होंने जगद्गुरू रामभद्राचार्य जी महराज से मुलाकात की। जगद्गुरू रामभद्राचार्य जी महराज से डेढ घंटे की मुलाकात में जहां देश की विभिन्न समस्याओं, हिंदुओं के उत्थान से संबंधित बातें हुईं। वहीं जगद्गुरू ने उनसे चित्रकूट को हिंदुओं की आध्यात्मिक राजधानी बताते हुए कहा कि यह विशेष तीर्थ दो प्रांत की सीमाओं के कारण विकास से कराह रहा है। श्रीराम को आम जन से परिचित कराने वाले गोस्वामी तुलसीदास की जन्म स्थली राजापुर में विकास की किरण अभी तक पडी नही। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन चित्रकूट में दर्शन करने हजारों की संख्या में धर्मावलंबी आते हैं। अमावस्या पर यहां पर भारी मेला लगता है। जिसमें कई प्रांतों के लोग आते हैं। लेकिन आज भी चित्रकूट में आने वाला पर्यटक दो प्रदेशों की सीमाओं के कारण परेशान रहता है। इस स्थान को यूपी और एमपी की सीमाओं के बंधन से मुक्त किया जाए। जगद्गुरू ने कहा कि चित्रकूट का वास्तविक क्षेत्रफल 84 कोस का है। यहां पर सैकड़ों की संख्या में धर्मस्थल मौजूद हैं। जंगलों में स्थित धर्मस्थलों पर जाने के लिए न तो पहुंच मार्ग हैं और न ही सुविधाएं।

संघ प्रमुख के बयान के बाद चित्रकूट के संतों में उत्साह का माहौल है। दिगंबर अखाड़ा के महंत दिव्यजीवनदास, निर्वाणी अखाड़ा के महंत सत्य प्रकाश दास, निर्मोही अखाड़ा अधिकारी दीन दयाल दास, खाकी अखाड़ा के अनूप दास ने कहा कि अभी योगी जी ने श्रीचित्रकूटधाम तीर्थ विकास परिषद के लिए हरी झंडी देकर चित्रकूट को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया है। अब संघ प्रमुख ने चित्रकूट को केंद्रशासित प्रदेश बनवाने के लिए आगे के स्तर पर बात करने को कहा है तो हमारा मन अत्यंत प्रफुल्लित है। चित्रकूट तो सबका है, इसे केंद्र शासित प्रदेश होना चाहिए। हर साल चित्रकूट के साधू व देश विदेश से आने वाले साधू चित्रकूट परिक्षेत्र के 84 कोस ही परिक्रमा करते हैं।

जगद्गुरू रामभद्राचार्य जी महराज का सम्मान करते अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि महराज

श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ न्यास साधू संतों को करें शामिल

सोमवार की शाम प्रयागराज की बाघंबरी गद्दी के महंत व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्रगिरि जी ने तुलसीपीठ पहुंचकर जगद्गुरू रामभद्राचार्य जी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों संतों के बीच देश, धर्म से संबंधित विभिन्न विषयों पर बातचीत हुई। यहां से वे जगद्गुरू के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्रदास के साथ संघ प्रमुख से मिलने आरोग्यधाम पहुंचे। वहां पर उन्होंने प्रयागराज के लेटे हनुमान जी का टीका व अंगवस्त्र संघ प्रमुख को प्रदान किया। उन्होंने संघ प्रमुख से कहा कि श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ न्यास में दिगंबर, निर्वाणी, निर्मोही अखाड़ा के प्रतिनिधि के साथ ही दो जगद्गुरूओं को भी स्थान मिलना चाहिए। इस दौरान आचार्य रामचंद्रदास ने ओटीपी प्लेटफार्म पर लगातार हिंदुओं को टारगेट कर रिलीज हो रहीं वेव सिरीज को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस तरह की सिरीज को प्रदर्शन से पहले सेंसर बोर्ड से पास कराना अनिवार्य होना चाहिए। जिससे कि समाज में किसी भी प्रकार का विद्वेष न पनप सके।

चित्रकूटधाम परिक्षेत्र का नक्शा

लोकभारती ने किया था केंद्रशासित प्रदेश के मुद्दे का आरंभ

प्रतिष्ठित लोकभारती अखबार ने पिछले साल तीर्थनगरी की मूल समस्या दो प्रदेशों में बंटा होना माना था। इस समस्या के निदान के लिए केंद्र शासित प्रदेश के मुद्दे पर आम लोगों के साथ विशेष लोगों को जोड़ने की मुहिम चलाई थी। जिसमें चित्रकूट के साधू संतों के साथ सतना व चित्रकूट- बांदा के सांसद ने अपनी राय खुलकर रखकर समर्थन दिया था। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी शशिकांत त्रिपाठी ने सेटेलाइट व्यू के आधार पर चित्रकूट के 84 कोस के नक्शे को भी बनाया था। इस दौरान चित्रकूट के साहित्यकार, कवियों ने भी अपनी अपनी तरह से इस आंदोलन में सहयोग किया था। लोकभारती की इस मुहिम को आयाम मिलने पर समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने धन्यवाद दिया है।

Click