इधर सड़क बनती गई, पीछे सड़क उखड़ती गई और साहब के कागजों में इंट्री चढ़ती गई

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रायबरेली-चौंकिए मत, जो आपने पढ़ा वो बिल्कुल सही पढ़ा है। तस्वीरें यह बयां कर रही है कि क्या वाकई में अम्रत योजना के अंतर्गत बन रही सड़क मानक के अनुरूप है । निर्माणाधीन सड़क की गुणवत्ता ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले सड़क से भी घटिया स्तर का है, लाखो के लागत से सड़क निर्माण एजेंसी द्वारा बनने वाली अम्रत योजना के अंतर्गत बनने वाली सड़क का कार्य अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है। और निर्माणाधीन सड़क बनने के कुछ ही घण्टो बाद गिट्‌टी ओर अलकतरा बाहर निकलना शुरू हो चुका है। स्थिति यह है सिविल लाइन ओवर ब्रिज से लेकर मनिका टाकीज़ रोड आधा कार्य हो चुका है। लेकिन कहीं वहा की नियमानुसार सड़क दिख जाएं, यह फिलहाल बताना संभव नहीं है। जबकि अधिकारियों की मानें तो आधा कार्य से ज्यादा कार्य पूरा हो चुका है। कुछ कार्य ही अधूरा है। लाखो की लागत से सिविल लाइन से मनिका सिनेमा रोड को जाने वाली सड़क लाखो की लागत से बनाई जा रही हैं लेकिन बगैर मानक के अनुरूप , ऐसे में कहा जा सकता है किस गंभीरता और मापदंडों के तहत कार्य कर रहे है। यह तस्वीरों में नजर भी आ रहा है।अम्रत योजना के अंतर्गत इस सड़क का निर्माण कार्य फिलहाल तेजी से किया जा रहा है। लेकिन अब तक जितना निर्माण कार्य हो चुका है। उसे लेकर जिम्मेदार पदाधिकारी इस ओर संवेदक कितने गंभीर है। यह सड़क की गुणवत्ता बता रही है। हैरत की बात यह है कि लापरवाही के साथ कार्य कर रहे संवेदक के बचाव में जिम्मेदार विभाग के पदाधिकारी भी बयान देते हुए टूटते सड़क पर यातायात व्यवस्था को ही जिम्मेवार बता रहे है। ऐसे में लाखो की लागत से बन रही सड़क की क्वालिटी क्या होगी? इसे बखूबी समझा जा सकता है।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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