हमीरपुर : जिले में सबसे कम अंतर से जीत का रिकार्ड मौदहा विधानसभा के नाम है जहां वर्ष 1993 के विधानसभा आम चुनाव में बसपा भाजपा प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर रही। 112 मतों के अंतर से बसपा प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी को मात दी थी। वहीं यदि बात सदर विधानसभा की करें तो वर्ष 1993 में ही जनता दल के प्रत्याशी ने बसपा प्रत्याशी को 509 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। जो कि इस विधानसभा में अब तक की सबसे कम अंतर की जीत है। होने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनावों में 1993 के विधानसभा चुनाव को याद किया जाता है।
सबसे पहले 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में सुरेंद्रदत्त (कांग्रेस) ने अपने प्रतिद्धंदी यदुनाथ सिंह (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी) को 16.31 प्रतिशत 3939 मतों के अंतर से हराया था। वहीं 57 में अपने प्रतिद्धंदी उदित नारायन शर्मा (पीएसपी) को 12.52 फीसदी 5230 मतों से व 62 में 10.62 फीसदी 4687 मतों से फिर यदुनाथ सिंह (पीएसपी) को मात दी थी। जबकि 1967 में जनसंघ के बजरंग ब्रम्हचारी ने सुरेंद्र दत्त (कांग्रेस) को 21.58 फीसदी 11484 मतों के अंतर से पराजित किया था। 1969 में प्रताप नारायन (कांग्रेस) ने 21.21 फीसदी 13007 मतों व 74 में 19.34 फीसदी 6371 मतों के अंतर से जीत दर्ज कराई। वहीं 1977 में ओंकारनाथ दुबे (जनता पार्टी) ने 7.85 फीसदी 5420 मतों के अंतर जीत पाई। 1980 में फिर प्रताप नारायन (कांग्रेस) 17.64 फीसदी 11172 मतों के अंतर के साथ विजय पाई। 85 में जगदीश नारायन शर्मा (कांग्रेस) 7.55 फीसदी 5277 मतों के अंतर से जीते। जबकि 1989 में अशोक कुमार सिंह चंदेल (निर्दलीय) ने 6.57 फीसदी 5769 मतों से व 91 में शिवचरन प्रजापति (बसपा) ने 7.93 फीसदी 6479 मतों के अंतर से जीत दर्ज कराई। जबकि 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल से अशोक चंदेल ने बसपा के शिवचरन प्रजापति को .46 फीसदी 509 मतों के अंतर पराजित किया। जो सदर विधान सभा की सबसे कम अंतर की जीत है। मतगणना के दौरान दोनों पक्ष अंतिम दौर तक डटे रहे। इसके बाद 1996 में शिवचरन (बसपा) ने 9.21 फीसदी 10739 मतों से व 2002 में 7.89 फीसदी 8962 मतों के अंतर से जीत दर्ज कराई। जबकि 2007 में अशोक चंदेल (सपा) 5.86 फीसदी 7096 व 2012 में साध्वी निरंजन ज्योति (भाजपा) 3.38 फीसदी 7824 मतों के अंतर से विजयी हुई। वहीं 2017 में अशोक चंदेल (भाजपा) ने 19.36 फीसदी 48746 मतों के अंतर से जीत दर्ज कराई।
एमडी प्रजापति रिपोर्ट