– पर्यटन विभाग के अधिकारियों के पास नहीं हैं बात करने का समय
संदीप रिछारिया ( सीनियर एडिटर)
रामजी की जन्मभूमि अयोध्या के साथ उनकी कर्मभूमि का विकास करवाने का दावा पिछले दिनों चित्रकूट के दौरे पर आए प्रधानमंत्री मोदी व योगी जी ने किया था।लेकिन चित्रकूट के रामघाट पर जहाँ लोहे का पुल बनाकर लोगो को नदी पार करने के लिए सुगम बनाया जा रहा है,वही पावन मन्दाकिनी में टनों मिट्टी डालकर उसे पाटने का कुचक्र भी रचा गया है।
चित्रकूट के विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के पास विकास की तमाम योजनाएं हैं। रामघाट को सुदरतम बनाने का दावा करने वाले पर्यटन विभाग ने कुछ मंदिरों पर बिजली की लाइट लगवाने का काम किया। लेकिन पुरानी लगी झालरों को ठीक कराने में उसकी कोई रूचि नही दिखी। इसके अलावा वाटरलाइट शो के जरिए एक घंटे रोज श्रद्वालुओं को रामघाट पर रोककर उन्हें आध्यात्मिकता से सराबोर करने का दावा था, पर हाल यह है कि 26 जनवरी से पूरी तरह शुरू होने वाला यह शो आज तक अभी ठीक से सेट ही हो रहा है। पर्यटन विभाग ने चरखारी मंदिर के नीचे से राघव प्रयाग घाट जाने के लिए लोहे का एक फुट ओवर ब्रिज बनाने का काम एक साल पहले शुरू किया। पर्यटन विभाग ने काम उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को दिया। निर्माण निगम ने काम कानपुर के ठेकेदार को दिया। पिछले एक साल से लगातार काम चल रहा है। लोहे के विशालकाय स्क्रेप को जोड़कर उन्हें मंदाकिनी में बनाए खंभों पर रखने के लिए कारीगर दिन रात मेहनत कर रहे हैं। इन स्क्रेपों को सीधा करने व जोड़ने में राघव प्रयाग घाट में बनी अधिकांश सीढ़ियां टूट चुकी है। लगभग एक साल से यहां पर स्नान करने वालों व पूजन करने वालों पर विभाग ने अघोशित रूप से प्रतिबंध लगा रखा है। उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर कहते हैं 30 फरवरी को काम पूरा होना था, लेकिन नही हो सका। जल्द ही पूरा हो जाएगा।
फिलहाल 3 करोड से ज्यादा का बताया जा रहा काम भविष्य में लोगों को यूपी से एमपी जाने के लिए कितनी सुविधा देगा यह तो बाद की बात है, पर अभी से इस पुल की गुणवत्ता व भ्रष्टाचार को लेकर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।