जय श्रीमन्नारायण
नारद जी के कहने से आपने भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या किया 1000 वर्ष तक मूल एवं फल खाया फिर 100 वर्ष तक साग खाकर जीवन बिताया, फिर कुछ दिन जल और वायु का भोजन किया और कुछ दिन कठोर उपवास किया।
तत्पश्चात जो बेलपत्र सूखकर पृथ्वी पर गिरते थे 3000 वर्ष तक उन्हीं को खाया सूखे पत्तों को फिर आपने छोड़ दिया।
आपका नाम अपर्णा हुआ तब आपका शरीर क्षीण देखकर आकाश से गंभीर ब्रह्म वाणी हुई।
भयउ मनोरथ सुफल तव सुन गिरिराज कुमारि।
परिहरू दुसह क्लेश सब अब मिलिहहिं त्रिपुरारि।।
हे पर्वतराज की कुमारी सुन तेरा मनोरथ सफल हुआ, तू अब सारे असहय क्लेशों को( कठिन तपस्या को) त्याग दें। अब तुझे शिव जी मिलेंगे।
इस प्रकार माता ब्रह्मचारिणी की सेवा करने से जीव के समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं।
धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिव जी पुरम प्रतापगढ़
रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा