जीवों के उद्धार के लिए रामानुज के रूप में शेष भगवान ने लिया अवतार

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जीवों के उद्धार के लिए रामानुज के रूप में शेष भगवान ने लिया अवतार :– धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
प्रतापगढ़ सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा रामानुज आश्रम में आद्य जगदगुरु महान भाष्य कार यतिराज श्री रामानुजाचार्य का 105 वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया प्रातः काल भगवान शालिग्राम एवं शेष भगवान का दूध दही घी शक्कर मधु तथा गंगाजल से अभिषेक संपन्न हुआ।
पूजन अर्चन के पश्चात धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि भगवान श्रीमन्नारायण के आदेश से जीवो के उद्धार के लिए कलयुग में कलि संवत 4118 शकाब्द 939 ईसवी सन 1017 के आद्रा नक्षत्र में चैत्र मास के द्वादश दिवस शुक्ला पंचमी तिथि को बृहस्पतिवार के दिन कर्कट लग्न तथा पिंगला वर्ष में हारित गोत्रिय यजु:शाखाध्यायी में महान भाष्यकार श्री रामानुजाचार्य जी का बाल सूर्य सदृश उदय माता का कांतिमती एवं परम वैष्णव पंडित केशव जी के घर भूतिपुरी में अवतार हुआ। आपके अवतार से दुर्बुद्धि का नाश तथा सद्बुद्धि का विकास हुआ। पंडित ने वीर धीर्लब्धा कहकर आपके जन्म काल का निर्णय किया था। वृहद पद्मपुराण के 32 वें अध्याय नारद पुराण स्कंद पुराण के तीसरे अध्याय और श्री मद्भागवत के एकादश स्कंध में कलियुग के अनंत देवों की कथा वर्णित है। इस विषय में कोई संदेह नहीं है। नारद पुराण के अनुसार श्री रामानुज के अवतार का पहले ही निर्धारण हो चुका था।
आपने वैष्णव मंदिरों में दलितों को प्रवेश दिलाया और सनातन धर्म की रक्षा के लिए श्रीमद्भगवद्गीता पर भाष्य लिखा आप द्वारा 700 मंदिरों की स्थापना की गई आपने 7000 लोगों को समाश्रित करके भगवान श्रीमन्नारायण की शरणागति दिलाया। हजारों पुरुषों और महिलाओं को शरणागति दिला कर उन्हें श्री वैष्णव बनाकर भगवान श्रीमन्नारायण के सानिध्य में पहुंचाने का कार्य किया। आपका मानना था कि यदि कोई व्यक्ति यदि वह श्री वैष्णव है वह चाहे जिस वर्ण का है उसके घर भोजन करने का मतलब है कि आप प्रसाद पा रहे हैं और यदि कोई उच्च वर्ण का चाहे वह ब्राह्मण ही क्यों न हो यदि वह भगवान श्रीमन्नारायण का भक्त नहीं है सनातन धर्म का पालन नहीं करता है तो उसके घर भोजन करने का तात्पर्य है कि आपने चांडाल के यहां भोजन किया। भागवतों में कुल गोत्र जाति धर्म भाषा पैसा आदि का कोई भेद नहीं होना चाहिए।
भागवतो का श्रीपाद तीर्थ शुद्धता एवं पाप रोगों का नाश करने वाला होता है पूर्वाचार्यों के ग्रंथों एवं उपदेश पर विश्वास करना चाहिए। चंदन पुष्प तांबूल आदि की इच्छा नहीं होनी चाहिए। आपका मानना था की मरण को जीतने का एकमात्र उपाय भगवान श्री लक्ष्मी नारायण का ध्यान व स्मरण ही है ।
कार्यक्रम के पश्चात सुंदरकांड का पाठ संपन्न हुआ कार्यक्रम में मुख्य रूप से सरला ओझा रामानुज दासी नारायणी रामानुज दासी संतोष दुबे पूर्व सभासद चिंतामणि पांडे एडवोकेट विश्वम प्रकाश पांडे इंजीनियर अनामिका पांडे डॉ अवंतिका पांडे डॉक्टर अंकिता पांडे इंजीनियर पूजा पांडे ज्ञानेश्वर तिवारी रामानुज दास राजेश रामानुजदास रविशंकर मिश्रा राजू शर्मा राजेश शुक्ला सुधांशु महराज आचार्य कमलेश राकेश सिंह बीपी त्रिपाठी रमाशंकर सिंह देश सेवक बद्री प्रसाद मिश्रा सहित अनेक भक्त गण उपस्थित रहे रफ्तार रहकर सुंदरकांड का पाठ एवं भगवान की पूजा अर्चना किया रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा

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