प्रतापगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार परशुराम उपाध्याय सुमन की कलम से
लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ की सार्थक भूमिका
निभाएं पत्रकार
भारत देश पर तमाम विदेशी ताकतों ने आक्रमण करके एक लंबी अवधि तक भारत में शासन किया। यही नहीं, उन्होंने अपने आतंक से समय-समय पर भारत देश को लूटपाटकर नेस्तनाबूद करने की कोशिश भी की। देश परतंत्रता की बेड़ियों में पूरी तरह से जकड़ उठा था। देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी जैसे राष्ट्रभक्तों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। चंद्रशेखर आजाद, सुभाषचंद्र बोस, महालक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे वीर शहीदों की कुर्बानियों की बदौलत 15 अगस्त सन 1947 को देश आजाद हुआ। ब्रिटिश सरकार का पतन हुआ और अंग्रेजों को भारत छोड़कर वापस जाना पड़ा।
राष्ट्र के संचालन हेतु संविधान निर्मात्री समिति का गठन हुआ। समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय आदि को जिम्मेदारियां दी गईं और 30 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान विधिवत लागू हो गया।देश के तमाम सपूतों के संघर्ष की बदौलत ही भारत को यह शुभ दिन देखने का सौभाग्य मिला।
संविधान में दी गई व्यवस्था के अनुसार पूरे देश का संचालन चार भागों में बांटा गया। संविधान के संचालन का सारा दायित्व लोकतंत्र के चार स्तंभों__ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं पत्रकारिता को दिया गया। सभी स्तंभ अपने अपने दायित्व का पालन करने में जुट गए।
यह निर्विवाद सत्य है कि विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं पत्रकारिता को दिए गए अधिकारों और कर्तव्यों का दायित्व निभाने का प्रयास क्या जा रहा है, लेकिन चुनौतियां से भरे हुए माहौल में तकरीबन सभी स्तंभ, अपने अपने पथ से विचलित होते जा रहे हैं। सबका अपना अपना महत्वपूर्ण दायित्व है लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता का जो महत्व भारत के संविधान के संचालन में दी गई व्यवस्था में प्रदर्शित किया गया है, वह किसी अन्य स्तंभ के महत्व से कम नहीं है।
यह बिल्कुल सही है कि बिना किसी उपयुक्त साधन से शहर से देहात तक पत्रकारिता में जुटे हुए साथी अर्थव्यवस्था से ज़ू़झ रहे हैं, फिर भी उन्हें अपने महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करते हुए निष्पक्ष पत्रकारिता का मानक स्थापित करना होगा। और इसी निष्पक्षता की बदौलत तमान गरीबों, असहाय, मजलूमों, मजदूरों को न्याय मिल पाने में सफलता मिल रही है। आज सोशल मीडिया का डंका बज रहा है, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं टेलीविजन की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
देश के तमाम पत्रकार बंधुओं से मेरा निवेदन है कि वह अपनी मर्यादा को कायम रखते हुए पत्रकारिता को एक मिशन बनाएं और सत्य को सत्य लिखें, झूठ को झूठ लिखें, निर्भीकता और निडर होकर कलम चलाएं, देश के तथाकथित लुटेरों से दूर रहकर अपनी कलम की पैनी धार से गरीबों का कल्याण करें, उन्हें न्याय दिलाने के लिए अपने मीडिया के माध्यम से विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का ध्यान आकर्षित करें। इनके जनविरोधी कारनामों को समाज के सामने उजाकर इन्हें बेनकाब करें।
मेरा विश्वास है कि भारत के संविधान में दी गई लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत चतुर्थ स्तंभ की महत्वपूर्ण भूमिका पत्रकारिता का अस्तित्व कायम रखने के लिए यदि हमारे पत्रकार बंधु, पत्रकारिता को मिशन मानकर अपने दायित्व का निर्वहन करेंगे, तो उनकी निश्चित रूप से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की सार्थक भूमिका होगी।
मैं जनपद प्रतापगढ़ का सामाजिक चिंतन करने वाला एक छोटा सा कलमकार हूं और जनहित में कुछ लिखकर अपने दायित्व का निभाने का प्रयास कर रहा हूं।
30 मई पत्रकारिता दिवस के पावन अवसर पर आप सभी पत्रकार बंधुओं एवं देशवासियों को हार्दिक बधाई व मंगल कामनाएं अर्पित करता हूं। रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा
पत्रकारिता एक मिशन है
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