● श्रीमद्भागवत कथा में उमड़ा आस्था का सैलाब
● कलयुग केवल नाम आधारा, सुमिरि सुमिरि नर उतरहि
रायबरेली। शिवगढ़ क्षेत्र के ग्राम पंचायत ओसाह में राजकीय विद्यालय के समीप स्थित सपा के बछरावां विधानसभा अध्यक्ष राकेश त्रिवेदी के प्रतिष्ठान एवं कार्यालय प्रांगण में बड़े ही हर्षोल्लास पूर्वक कलश यात्रा से श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ हुआ। कलश यात्रा कष्ट हरिधाम खैरा बीरु के कथावाचक पंडित कृष्ण कुमार द्विवेदी , आयोजक राकेश त्रिवेदी उर्फ आलू व उनकी धर्मपत्नी ओसाह प्रधान सुनीता त्रिवेदी, क्षेत्र पंचायत सदस्य मनोज कुमार त्रिवेदी के नेतृत्व में ओसाह गांव के उत्तर दिशा में स्थित बाबा मंशा पुरी की पावन कुटी में विधि-विधान पूर्वक पूजन हवन के पश्चात निकाली गई। जो ओसाह चौराहे से होते हुए सपा कार्यालय प्रांगण में स्थित वेदी स्थल पर पहुंची। जहां मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान पूर्वक कलश यात्रा की स्थापना की गई। तत्पश्चात दोपहर 12 बजे से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ हुआ। कथावाचक स्वामी कृष्ण कुमार द्विवेदी की अमृतवाणी से कथा का रसपान करने के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। कलश यात्रा में सौ से अधिक महिलाओं के साथ ही क्षेत्र के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कलश यात्रा को देखकर पूरा भक्तिमय माहौल हो गया। कथा के पहले दिन श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताते हुए कथा वाचक पंडित कृष्ण कुमार द्विवेदी ने कहा कि कथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल ‘ मनोरंजन ‘, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी । भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण,भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है। कथा के आयोजक राकेश त्रिवेदी उर्फ आलू महराज ने जानकारी देते हुए बताया कि सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा प्रतिदिन दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक, सायं 7 बजे से 10 बजे तक आयोजित की जाएगी।इस मौके पर व्यवस्थापक सुरेश शुक्ला, सह आचार्य कमल मिश्रा, सह आचार्य शैलेंद्र मिश्रा, सुभाष,आरपीटी पब्लिक स्कूल ओसाह के प्रबंधक संजय मोहन त्रिवेदी, मनोज त्रिपाठी,ओसाह कोटेदार सहित भारी तादाद में श्रद्धालु उपस्थित रहे।